शिमला, 5 दिसम्बर : महानगरों की तर्ज पर हिमाचल में भी ऑनलाइन ठगी से लोगों की जेब ढ़ीली करने की कवायद हो रही है। ग्राहकों को लोन दिलाने के नाम पर मोबाइल में फर्जी ऐप डाउनलोड करवाकर पहले उनकी बैंक संबंधित जानकारी ली जाती है, इसके बाद खाते से रकम निकाल ली जाती है। सायबर क्राइम के जानकारों का मानना है कि लोन के लिए लगने वाले चार्ज और बैंक के चक्कर लगाने से बचने के लिए लोग निजी कंपनियों के ऐप के जाल में फंस जाते हैं। ये कंपनियां उनकी निजी जानकारियों का डेटा लीक कर देती हैं।
राज्य साइबर थाना शिमला में भी कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हुई हैं, जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा ऑनलाइन एप्स के माध्यम से लोन लिया गया और लोन का भुगतान करने के पश्चात भी यह लोग विभिन्न तरह के चार्जेज लगाकर लोन की राशि को बढ़ाते रहे है। इसे देखते हुए हिमाचल साईबर पुलिस ने एडवाइजरी जारी करते हुए लोगों को फर्जी एप्स से सचेत रहने की सलाह दी है।
एएसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर के अनुसार जल्द कर्ज पाने के लिए कुछ लोग फर्जी एप्स पर आधार कार्ड नंबर, पैन, बैंक खाता आदि निजि जानकारियां सांझा कर रहे है। बाद में ये एप्स उन जानकारी के माध्यम से फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे है। भारत वर्ष में हजारों की संख्या में लोग इनके शिकार हुए है तथा करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया गया है।
नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि इंटरनेट पर बहुत सारी जाली लोन एप्स मौजूद है। 484 लोन एप्स गूगल प्ले स्टोर पर भारत में कर्ज देने के लिए उपलब्ध है। इसमे कई चीनी एप्स भी है। ऐसे में अपनी निजी जानकारियां सांझा न करे, क्योंकि उसका दुरुप्रयोग कर शातिर फर्जीवाड़े को अंजाम दे सकते है।
उन्होंने बताया कि लोन की रिकवरी के लिए ये लोग गुंडागर्दी पर उतारु हो जाते है और बार-बार फेक नंबर और व्हाटसऐप नंबर से कॉल करके ग्राहकों को मानसिक तौर से परेशान करते है। इतना ही नहीं कई दफा तो लोन लेने वाले ग्राहक की कांटेक्ट लिस्ट में जितने भी रिश्तेदार और दोस्तों के नंबर होते है, उनको भी कॉल करते है। इससे ग्राहक मानसिक तौर से परेशान हो जाता है। साइबर सेल से लोगों को अलर्ट किया है कि फर्जी लोन एप्स के झांसे में न आएं। इंटरनेट पर इनकी संख्या सैंकडों में है, जो अधिकतर फेक है। ऐसे एप्स का मुख्य उद्देश्य सिर्फ ग्राहकों से ठगी करना है।