शिमला, 03 दिसंबर : हिमाचल प्रदेश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए हाईकोर्ट (High Court) ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि अन्य राज्यों से यहां प्रवेश करने वाले लोगों का कोरोना टैस्ट (Corona Test) अनिवार्य करवाए जाने पर विचार करे। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने गुरुवार को कोरोना से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कोरोना महामारी के दृष्टिगत अस्पतालों में समुचित व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कोविड वार्डों में वरिष्ठ डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात करने तथा राज्य में छह वेंटिलेटर वैन लगाने के भी आदेश दिए। अदालत ने 10 दिसम्बर 2020 को होने वाली अगली सुनवाई में मेक-शिफ्ट अस्पतालों की व्यवस्था सहित सभी स्थितियों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का सचिव (स्वास्थ्य) को निर्देश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा कि राज्य में कोरोना के टैस्ट को बढ़ाने के लिए निजी लैब व इनके कर्मचारियों की मदद ली जाएं । जो भी व्यक्ति टैस्ट करवाने के लिए आ रहे हैं। उनके मोबाइल नंबर, ई मेल या वाट्सएप लिया जाए तथा 48 घंटे से ज्यादा की देरी टैस्ट की रिपोर्ट में स्वीकार्य नहीं होगी। अदालत ने कोविड सेवा में तैनात किए गए कर्मियों की डाइट व आराम का विशेष ध्यान रखने के भी आदेश जारी किए हैं। अगर जरूरी हो तो एनजीओ व चैरिटेबल इंस्टिट्यूशन से भी सहायता लेने के निर्देश जारी किए हैं। राज्य के डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि पुलिस बल को अनावश्यक छुट्टियां न ही जाए। कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन हो, इसके लिए बटालियन से अतिरिक्त पुलिस जवानों को मुहैया करवाया जाए।
अदालत ने आउटसोर्स के आधार पर तैनात किए जाने वाले कर्मियों को 5 दिसंबर तक नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी किए है। न्यायालय ने निजी व सरकारी प्रयोगशालाओं से कोविड टैस्ट करवाने के आदेश दिए है। सैंपल एकत्रित करने वाली एजेंसी को यह आदेश जारी किए हैं कि वह टैस्ट करने के दौरान व्यक्ति का संपर्क नंबर, ईमेल आईडी व अन्य जरूरी जानकारी ले ताकि टेस्ट के परिणाम बाबत ईमेल व्हाट्सएप इत्यादि पर बताया जा सके। यह रिपोर्ट 48 घंटों के भीतर दी जाए। अदालत ने शिमला, मंडी, धर्मशाला, कुल्लू सोलन, ऊना, हमीरपुर व बिलासपुर जिलों में टेस्टिंग बाबत जानकारी समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से दिए जाने के आदेश जारी किए है ताकि सैंपल को एकत्रित करने के लिए समय सम्बन्धी जानकारी लोगों को उपलब्ध हो सके।
न्यायालय ने कोविड-19 अस्पतालों में हेल्पलाइन सुविधा को भी सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं ताकि कोविड-19 के मरीज से उसके परिवार के सदस्य व अन्य नजदीकी रिश्तेदारो का सम्पर्क बना रहे। अदालत ने कहा कि जो मरीज अपने खर्चे पर नर्स रखना चाहे, उन्हें अपने खर्च पर नर्स रखने की अनुमति दी जाए ताकि हॉस्पिटल स्टाफ का भार कम हो सके। कोविड मरीज के शव को किसी भी स्थिति में वार्ड में न लपेटा जाए। उसके शव को तुरंत वार्ड के बाहर किया जाए। सभी शौचालय साफ व स्वच्छ रखने के आदेश जारी किए हैं। अगर मरीजों को शौचालय की संबंधी कोई शिकायत है तो वह हेल्पलाइन पर सूचना दे सकते हैं।
न्यायालय ने गरम पानी व स्ट्रीमर की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी आदेश जारी किए हैं। किसी भी परिवार को कोविड-19 से ग्रसित होने के कारण समाज से बाहर नही किया जाएगा। कार्यकारी मैजिस्ट्रेट की इजाजत के बिना जनसभा आयोजित नही की जा सकेगी। इस तरह की इजाजत के बाद स्थानीय पुलिस थाना को यह सुनिश्चित करना होगा कि जनसभा में निर्धारित लोगों से अधिक संख्या न हो।