नाहन, 1 दिसंबर: मंगलवार दोपहर फायर ब्रिगेड आँफिस के समीप कुत्ते के एक बच्चे की कार के नीचे सोते-सोते मौत हो गई। इसका खुलासा तब हुआ, जब गाड़ी हटी। इसके बाद से पिल्ले की मां बार-बार उसके आसपास चक्कर काटती रही, लेकिन वो बेबस थी, क्योंकि वो इसे उठाकर कहीं दफना नहीं सकती थी। दूसरा पिल्ला शव के आसपास मंडराता रहा। शाम तक कुतिया भी अपने पिल्ले के आसपास पहरेदारी करती रही।
दर्जनों लोगों ने पिल्ले को मरा हुआ देखा, लेेकिन कोई इसे उठाने वाला नहीं था। खैर, देर शाम इसकी सूचना समाजसेवी राम सिंह उर्फ रामू तक पहुंची। कुछ ही देर में घर से ही कफननुमा कपड़ा लेकर पहुंच गया। पिल्ले को तरीके से इसमें लपेटा, ताकि दूर इसे दफना सके।
समाजसेवी के इस कार्य की सूचना उन लोगों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को दी, जिन्होंने शव को उठवाने को लेकर राम सिंह से संपर्क किया था। बाद में राम सिंह ने बताया कि उसने कुत्ते के पिल्ले को करीब दो किलोमीटर दूर ऐसी जगह पर दफनाया है, जहां अमूमन बेजुबानों के शव को दबाया जाता है। उल्लेखनीय है कि समाजसेवी राम सिंह को गरीबों के मसीहा के रूप में पहचाना जाता है। 24 घंटे हर किसी की मदद के लिए तैयार रहने वाले राम सिंह ने आज यह भी साबित कर दिखाया है कि वो बेजुबानों के लिए भी संवेदनशील हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राम सिंह द्वारा कुत्ते के पिल्ले को उठाए जाने के बाद भी कुतिया वहीं मंडराती रही। दीगर है कि करीब तीन सप्ताह से कुत्ते के 3-4 पिल्ले लोगों में कौतूहल का विषय बने हुए हैं। इसमें से एक को किसी व्यक्ति द्वारा गोद भी लिया जा चुका है। जबकि एक अब भी यहीं मौजूद है। इन पिल्लों ने एक पेड़ के नीचे अपना ठिकाना बनाया हुआ है।
वैश्विक महामारी के दौरान समाजसेवी राम सिंह ने कोरोना योद्धा के तौर पर एक अलग पहचान बनाई है। समूचे सिरमौर में रैडक्राॅस सोसायटी का एकमात्र पायलट है, जिसने करीब डेढ़ दर्जन कोरोना संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार के लिए मोक्षधाम तक पहुंचाया। इसके अलावा एमरजेंसी में मरीजों को हायर स्वास्थ्य संस्थानों तक पहुंचाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। करीब सवा तीन घंटे में एक नवजात को नाहन से गुरुग्राम तक सर्जरी के लिए पहुंचाने पर राम सिंह प्रिंट, इलैक्ट्राॅनिक्स व डिजिटल मीडिया में खासा चर्चित हुआ था।