नाहन, 24 नवंबर: अंतर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला मंगलवार को सूक्ष्म तरीके से शुरू हुआ। इस दौरान हालांकि मुख्यमंत्री द्वारा देव पालकियों को कंधा देने की रिवायत पहले भी टूटती रही है, लेकिन इस बार नई बात ये रही कि भगवान परशुराम की देव पालकी को गिरी आर नहीं लाया गया। जामू कोटी से पहुंची भगवान परशुराम की पालकी को गिरी नदी के उस पार से ही आनन-फानन में सीधा श्री रेणुका जी पहुंचा दिया गया।
शायद, इतिहास में ही ऐसा पहली बार हुआ है, जब पालकी को गिरी आर नहीं लाया गया। सवाल इस बात पर भी उठ रहा है कि देव पालकी को स्वागत के मकसद से मूल स्थान तक लाने में क्या हर्ज था। गिरि नदी के पार ही सूक्ष्म तरीके से शोभायात्रा आयोजित की गई। कुल्लू दशहरे में शोभा यात्रा निकली थी, जबकि सोलन में शूलिनी माता की पालकी की सूक्ष्म रस्म निभाई गई थी।
बता दें कि महामारी के मद्देनज़र मेले का सूक्ष्म आयोजन करने का निर्णय लिया गया था इसके लेकर लंबी चौड़ी एसओपी भी जारी की गई थी। सवाल इस बात पर उठाया जा रहा था कि देव पालकी को सती का बाग तक लाने के बाद स्कूल ग्राउंड में क्यों नहीं लाया जा सकता था, इसके लिए व्यवस्था हो सकती थी।
परंपरा के अनुसार, भगवान परशुराम की पालकी को जामू कोटी गांव के प्राचीन मंदिर से श्री रेणुका जी लाया जाता है, इसके उपरान्त धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन व पवित्र झील में स्नान भी किया जाता है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष से पूर्णिमा तक मनाए जाने वाले इस उत्सव में प्रशासन पूरी सख्ती दिखाने के मूड में नजर आ रहा है। बता दें कि हर साल ददाहू से शुरू होने वाली शोभा यात्रा सांझ ढलने से पहले रेणुका झील के किनारे त्रिवेणी घाट के संगम पर पहुंचती थी, इसी जगह पर मां- बेटे का मिलन होता है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक भगवान परशुराम की पालकी को सीधे ही मंदिर परिसर में पहुंचा दिया गया। हर साल शोभायात्रा में 5 देव पालकियों को शामिल किया जाता था, लेकिन इस बार तीन को ही हिस्सा लेने की अनुमति दी गई है।
नारी देह आकार में है हिमाचल की सबसे बडी प्राकृतिक झील “श्री रेणुकाजी”, पढ़िए जुड़ा इतिहास
देव पालकी का स्वागत करने पहुंचे राज घराने के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि वह 62 साल से लगातार देव पालकियों का अभिनंदन करते आ रहे हैं, लेकिन इस अवधि के दौरान पहली बार ही ऐसा हुआ है कि जब देव पालकी को गिरीपार से ही वाहन के जरिए परशुराम मंदिर परिसर तक पहुंचा दिया गया। बता दे कि देव पालकियो के स्वागत की औपचारिकता पूरी करने के लिए डीसी आर के परुथी भी पहुंचे थे। बुधवार को हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील श्री रेणुका जी झील मे एक समय में केवल 26 लोगों को ही स्नान करने की अनुमति होगी। जिन्हे मास्क पहनना अनिवार्य होगा।
उधर प्रेस विज्ञप्ति मुताबिक उपायुक्त सिरमौर डॉ0 आरके परूथी ने रेणुका जी में भगवान परशुराम की पालकी की पूजा-अर्चना करने के उपरान्त पालकी को कंधा देकर सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेले का शुभारम्भ किया। देव पालकियों का राज परिवार की ओर से स्वागत किया गया। इस अवसर पर विधायक विनय कुमार, पुलिस अधीक्षक सिरमौर केसी शर्मा, एसडीएम एवं सदस्य सचिव रेणुका विकास बोर्ड रजनेश कुमार, एसडीएम संगडाह डॉ विक्रम नेगी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेणुका विकास बोर्ड दीप राम शर्मा के अतिरिक्त विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।