शिमला, 18 नवम्बर : हिमाचल के स्कूलों में बेटियों के साथ यौन उत्पीडऩ व छेड़छाड़ के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मासूम छात्राओं के साथ इस तरह की घिनौनी वारदात के आरोप स्कूलों में तैनात शिक्षकों पर ही लगे हैं। पुलिस ने बीते 10 सालों में 52 शिक्षकों के विरूद्ध पोक्सो अधिनियम में एफआईआर दर्ज की है। ज्यादातर मामले प्राइमरी व हाईस्कूलों में सामने आए हैं। पोक्सो अधिनियम में पुलिस मामला तब दर्ज करती है, जब किसी नाबालिग (Minor) बच्ची के साथ छेडख़ानी व दुराचार व दुराचार की कोशिश की घटना घटित होती है।
गत वर्ष ऐसे पांच मामलों में शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इस तरह के अधिकतर मामले शहरी क्षेत्रों की बजाय ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों से सामने आए हैं।
डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि बीते 10 वर्षों में बच्चियों के साथ यौन उत्पीडऩ के 52 मामलों में शिक्षक संलिप्त पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकत करने वाले आरोपी शिक्षकों को लेकर पुलिस ने अलग रजिस्टर तैयार किया है।
इस बीच ऐसे मामले सामने आने पर शिक्षा विभाग द्वारा तुरंत कार्रवाई कर आरोपी शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जाती है। उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक अमरजीत शर्मा कहते हैं कि स्कूलों में यौन उत्पीडऩ की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग जीरो टोलरेंस(Zero tolerance) के तहत काम कर रहा है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर सभी स्कूलों में चाइल्ड सैक्स एबयूज कमेटी का गठन किया गया है।
बच्चियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए जा रहे हैं व शिकायत पेटियां लगाई गई हैं। इसी के चलते हैल्पलाइन भी शुरू की गई है। बच्चियों के साथ यौन उत्पीडऩ में संलिप्त पाए गए शिक्षकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाती है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक और उच्च शिक्षा विभाग में एक लाख से ज्यादा शिक्षक हैं। शिक्षा विभाग इन शिक्षकों (Teachers) के लिए समय.समय पर काउंसलिंग सत्रों (Counselling Session) का आयोजन करता है, जिसमें शिक्षको को पोक्सो एक्ट के बारे में जागरूक किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि ऐसे मामलों को राजनीतिक (Political) रसूख के चलते दबाने का भी प्रयास किया जाता है। शुरू में तो शिक्षा विभाग(Education Department) तत्परता से काम करता है और आरोपी शिक्षकों के विरूद्ध चाजशीट भी तैयार कर दी जाती है। मगर बाद में इसे ठंडे बस्ते में डालने की कवायद की जाती है।
गत वर्ष इस तरह के मामले जब पूर्व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के संज्ञान में आए, तो उन्होंने पिछले अरसे के दौरान शिक्षकों के कारनामों का पूरा ब्यौरा निदेशालय से तलब किया था।
बाकायदा तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने प्रारंभिक शिक्षा (Elementary Education) निदेशक और उच्चतर शिक्षा निदेशक को सभी मामलों की फिर से समीक्षा करने के भी आदेश दिए हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि जिन मामलों को दबाने में शिक्षकों या अधिकारियों की मिलीभगत पाई जाएगी, उन पर भी सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।