आनी/ राकेश शर्मा, 15 नवंबर : निथर उपतहसील के चेबड़ी गाँव में माता भुवनेश्वरी का भव्य मंदिर है। मंदिर परिसर में दीपावली बड़े हर्षोल्लास व पारंपरिक तरीके से मनाई जाती है। माता के गर्भ गृह में स्थापित माता की मूर्ति को सजाया जाता है। माता के इस रूप के दर्शन से एक अलौकिक सुख की प्राप्ति होती है। दीपावली की संध्या को विदिवत पारंपरिक पूजा होती है।
शाम को अपने-अपने घरों में गणेश व माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद लोग मंदिर में इकठा होते हैं। शाम को गढ़िए का आगमन होता है, जिसमे झल्ली और घरोली गाँव के लोग गाड़िये की भूमिका निभाते हैं। मशाल जलाकर दिवाली के पारंपरिक गीत गाते हुए कूंड जलाकर दिवाली की शुरुआत करते हैं। चेबडी गाँव के लोग माता के मंदिर में ब्रह्म भक्ति गाते हैं। रात भर नाचना व गाना होता है। सुबह के समय सभी लोग मशाल निकालकर (जिससे स्थानीय भाषा में कुंडादेवची कहते हैं) अखाड़े में अग्नि जलाई जाती है और सुबह प्रतिपदा शुरु होने के बाद चेबड़ी गाँव के विवाहित स्त्री-पुरुष अखाड़े का पूजन करते हैं, जिसमे गाँव के लगभग 50-60 लोग एक साथ अखाड़े का पूजन करते हैं।
इस पूजन में माता के पुरोहित होशियार चंद द्वारा काब भी गाए जाते हैं जो मंदिर के कारदार एवं पुरोहित भी है वर्षों पूर्व जिस तरह से मनाई जाती थी ये दूर दूर तक प्रसिद्ध थी स्थानीय बजुर्ग व बुद्धिजीवियों के मुताबिक दीपावली के दिन पारम्परिक रीति रिवाजों से भरपूर इस दीपावली पर और उसके अगले दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे। दूर-दूर से लोग इन पारम्परिक कार्यक्रमों को देखने आते थे पर वक्त के साथ कई चीजें धूमिल होती गई पर अब भी कई बुद्धिजीवी इन परम्पराओं का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।
प्राचीन परम्पराओं को सजोये हुए दीपावली की ये सब परम्पराएँ लोगों की सुख व समृद्धि के लिए निभाई जाती है। हर तीन साल बाद बूढा महादेव इस दीपावली में शिरकत करते थे, पर कोविड-19 की वजह से इस बार कार्यक्रम सूक्ष्म रहा और माता भुवनेश्वरी के भडारी रोहताश शर्मा व पुजारी प्रदीप शर्मा है।