कांगड़ा, 15 नवम्बर : कोरोना संकट के दौरान एक तरफ जहां लोगों के रोजगार छीन गए और लोगो के लिए रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया। प्रदेश के विभिन्न भागों से रोजगार की तलाश में देश-विदेश के अलग अलग हिस्सों पर आजीविका कमाने गए लोगों को मजबूरन अपने घरों की ओर लौटना पड़ा, तो वहीं, इस विकट परिस्थिति में मनरेगा लोगों के लिए संकट मोचन बनकर उभरी।
कांगड़ा जिला के विकास खण्ड रैत पंचायत की इच्छा देवी, सरोज, कमलेश, शशी देवी, सुषमा, रंजना देवी तथा किरण आदि ने अपनी पंचायत में मनरेगा के तहत चलाए जा रही विकास योजनाओं में दिहाड़ी पर काम किया। उन्होंने बताया कि सरकार की इस योजना के चलते उन्हें संकट की घड़ी में रोटी की चिंता नहीं सताई।
बता दें कि इन विकट परिस्थितियों में सरकार तथा स्थानीय प्रशासन ने लोगों को उनके घरद्वार पर रोजगार मुहैया करवाने के उद्देश्य से कोविड प्रोटोकाल के तहत विभिन्न विकास कार्यों तथा योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया।
डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति ने बताया कि कोरोना समय के पिछले 4-5 महीनों के दौरान 6,189 नए परिवारों ने मनरेगा में अपना पंजीकरण करवाया है। इस वित्त वर्ष में मनरेगा में अब तक लगभग 33 लाख 76 हजार 712 कार्य दिवस सृजित किये गये। इस दौरान 1,17,783 लोगों को रोजग़ार उपलब्ध करवाया गया। जिस पर 66 करोड़ 11 लाख रुपए व्यय किए गए।
उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत चलाई जा रही योजनाओं ने रोजगार सृजन से समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिशा में सरकार के उचित दिशा-निर्देशों के अनुरूप जिला प्रशासन के सार्थक प्रयासों का ही नतीजा है कि इस कठिन समय में भी हम हजारों परिवारों को मनरेगा के माध्यम से जोड़कर रोजगार के अवसर सृजन करने में सफल रहे हैं।
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