नाहन, 15 नवम्बर : शहर में इस बार दीपावली के पर्व पर गेंदे के फूल (Marigold) की भारी किल्लत सामने आई है। आलम यह रहा कि लक्ष्मी पूजन के लिए भी लोगों को गेंदे के फूल नहीं मिले। इसकी वजह तलाशने के लिए एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जानकारों से बातचीत की तो पता चला कि इस बार दीपावली का पर्व (Festival) देरी से था, लिहाजा फूल कम ही थे। दूसरी वजह यह भी सामने आई कि कोरोना की वजह से स्थानीय स्तर पर फूलों की पनीरी (Plantation) नहीं लगाई गई।
हरियाणा के यमुनानगर से विक्रेताओं को 120 रूपए किलो तक गेंदा मिला, जो यहां पहुंच कर 150 रूपए किलो तक दुकानदारों को ही मिल रहा था। ऐसे में 20 रूपए वाली माला की कीमत 40 रूपए से भी अधिक मिली। शहर में जिन लोगों के घरों में गमले हैं और फूल मिल गए, वह खुद को काफी खुशनसीब (Blessed) मान रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में गेंदे की फसल को खासतौर पर दीपावली के लिए लगाया जाता है, इस कारण कम दरों पर दिवाली के पर्व पर गेंदे की मालाएं (Garlands) फूल इत्यादि उपलब्ध हो जाते थे।
वहीं घरों में गेंदे के फूलों से सजावट भी अपना-अलग सौंदर्य बिखेरती है। उधर फूल विक्रेता विजय का कहना था कि वह 15 साल से इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, लेकिन इस तरह की स्थिति पहली बार ही सामने आई, जब लोगों को पूजा के लिए भी फूल नहीं मिल रहे थे। उन्होंने कहा कि ग्राहक बार-बार गुजारिश कर रहे थे कि कम से कम पूजा के लिए ही फूल उपलब्ध करवा दो, लेकिन वह लाचार थे, क्योंकि आसपास के क्षेत्रों में कहीं पर भी फूल उपलब्ध नहीं थे।
बता दें कि सैनधार के कई इलाकों में गेंदे की खेती प्रचुर मात्रा में (In adequate amounts) दिवाली के लिए की जाती है। इसके अलावा मुख्यालय के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग बड़ी मात्रा में गेंदे के फूल लेकर दिवाली के मौके पर आते हैं। इस बार लॉकडाउन में फूलों की खेती (floriculture) में हुए नुक्सान के चलते लोगों ने खेती नहीं की, जिसके चलते समस्या बनी।