2003 बैच के आईपीएस अधिकारी रामेश्वर सिंह ठाकुर कुछ समय पहले ही वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया में डेपुटेशन से वापस लौटे थे। बता दें कि एसपीजी के साथ-साथ ब्यूरो में भी आईपीएस अधिकारी की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है।
इसी साल जनवरी में इंटरपोल ने आईपीएस अधिकारी रामेश्वर ठाकुर को एनवायरमेंटल सिक्योरिटी के क्षेत्र में असाधारण योगदान पर प्रशंसा पत्र जारी किया था । संभव है कि हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले किसी आईपीएस अधिकारी को इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन द्वारा इस तरह का प्रशंसा पत्र पहली बार दिया गया होगा। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ऑफ इंडिया की अतिरिक्त निदेशक के माध्यम से आईपीएस रामेश्वर ठाकुर को प्रशंसा पत्र हासिल हुआ था ।
आईपीएस अधिकारी द्वारा एशिया में वन्य प्राणी प्रवर्तन की कोशिशों को बेहतरीन सहयोग प्रदान किया गया। इसमें यह भी कहा गया है कि इंटरपोल को 2014 से 2016 ठाकुर के साथ कई मामलों में कार्य करने का मौका मिला। ठाकुर ने 2014 से 16 के बीच ऑपरेशन पीएडब्ल्यू व 2019 में ऑपरेशन थंडरबोल्ट में आउट स्टैंडिंग योगदान दिया है। ऑपरेशन प्रोटेक्शन ऑफ एशियन वाइल्डलाइफ स्पीशीज (PAW) को इंटरपोल द्वारा शुरू किया गया था। टाइगर व अन्य प्रजातियों की तस्करी को लेकर ठोस कार्रवाई की जानी थी। इसमें इंटरपोल की शाखा ने 13 देशों को जोड़ा था। ऑपरेशन के दौरान बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी।
हिमाचल पुलिस सेवा में रामेश्वर ठाकुर ने बतौर डीएसपी अपनी सेवाएं 1994 में शुरू की थी। इसके बाद ठाकुर का आईपीएस में 2003 के बैच में इंडक्शन हुआ। देश की राजधानी दिल्ली में वाइल्ड लाइफ कंट्रोल ब्यूरो में बतौर डिप्टी डायरेक्टर का पद संभालने से पहले आईपीएस अधिकारी सिरमौर में बतौर एसपी अपनी सेवाएं दे रहे थे।