मंडी, 11 नवंबर : आईआईटी मंडी (IIT Mandi) ने अपने कैंपस में केंद्रीय विद्यालय न खोलने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। यह याचिका बीती 20 जुलाई 2020 को दायर की गई है। जिसमें आईआईटी प्रबंधन की तरफ से यह कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट को आईआईटी कौंसिल के निर्णय की सही जानकारी नहीं दी गई है जिसके तहत ही पुनर्विचार याचिका दायर करके कोर्ट को इस निर्णय से अवगत करवाया जाएगा। देश भर के सभी आईआईटी संस्थानों की कौंसिल ने आइआइटी परिसर में केंद्रीय विद्यालय खोलने या न खोलने का फैसला संस्थान विशेष पर छोड़ दिया है। इसी का हवाला देते हुए कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।
आईआईटी मंडी के पूर्व कर्मचारी रहे सुजीत स्वामी ने कैंपस में खुले प्राइवेट स्कूल को नियमों के विपरित बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनके साथ कुछ और लोगों ने भी इसमें अपनी सहमति जताई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 में आईआईटी मंडी में चल रहे निजी स्कूल को शिक्षा मंत्रालय के सर्कुलर की अवहेलना बताते हुए इसकी अनुपालना करने के निर्देश जारी किए थे। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद एजुकेशन मिनिस्ट्री ने 19 दिसम्बर 2019 को आइआइटी मंडी समेत 16 अन्य आईआईटी को पत्र लिखकर कैंपस के अंदर केंद्रीय विद्यालय खोलने का प्रपोजल जल्द से जल्द केंद्रीय विद्यालय संगठन को जमा करने के लिए कहा था। इसमें अभी तक सिर्फ आईआईटी रोपड़ और इंदौर ने ही अपना प्रपोजल भेजा है।
सुजीत स्वामी का कहना है कि जब पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शुरू होगी तो उस वक्त दिल्ली हाईकोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेंगे और आईआईटी परिसर में केंद्रीय विद्यालय खुलवाने की वकालत की जाएगी। केंद्रीय विद्यालय खुलने से न सिर्फ आईआईटी को इसका लाभ मिलेगा, बल्कि क्षेत्र के बच्चे भी इसमें शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।
वहीं आईआईटी मंडी के रजिस्ट्रार केके बाजरे का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट को आईआईटी कौंसिल द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी नहीं दी गई थी, जिसके चलते पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट को बताया जाएगा कि आइआइटी परिसर में स्कूल संचालन का जिम्मा संबंधित संस्थान का है और उसी आधार पर यहां नीजि स्कूल संचालित किया जा रहा है।