शिमला, 29 सितंबर : राज्य सरकार शिक्षा नीति-2020 (Education Policy-2019-20)को लागू करने को लेकर कमर कस चुकी है। लेकिन इसी बीच एक खबर यह भी आई है कि 2019-20 में प्रदेश भर में लगभग 23 हजार विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल से किनारा कर लिया है। लिहाजा, सरकारी स्कूल के ढांचे को लेकर बड़ी चिंता का सबब पैदा हो गया है। अमर उजाला ने यू डाइस की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि छठी से दसवीं कक्षा तक 14 हजार विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल को छोड़ा, जबकि पहली से पांचवी तक 8 हजार ड्रापआउट (Drop Out) हुए हैं।
बड़ी बात सरकारी स्कूलों को छोडऩे की नहीं है, बल्कि ड्रापआउट है। इससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि धरातल पर नौनिहालों (Children) को स्कूल की दहलीज तक लाने में सरकार की मशीनरी फेल हो रही है। करीब 25 साल के दौर में देवभूमि में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, सर्वशिक्षा अभियान, प्रारंभिक शिक्षा इत्यादि देखेें हैं। इन तमाम कार्यक्रमों में ड्रापआउट को सबसे अधिक अहमियत दी जाती थी। साधारण शब्दों में समझें तो ड्रापआउट वह है, जिसमें पहले बच्चा स्कूल में दाखिला लेने के कुछ समय बाद स्कूल को छोड़ देता है।
कुल मिलाकर इतनी बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों से छात्रों का किनारा करना चिंतनीय है।
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