नाहन, 24 सितंबर: हर कोई कोरोना संक्रमित से डरता है, दूरी बनाने की कोशिश करता है, मगर वो न खौफ खाता है न दिन ड्यूटी करने में संकोच करता है। पगार भी महज 10 हजार के आसपास है। रहने के लिए अपना घर नहीं है। वो न थकता है न भूख से व्याकुल होता है। समाजसेवा का जुनून (Passion) इस कद्र सिर चढक़र बोलता है कि आधी रात (Mid Night) को भी कॉल आने पर नींद छोडक़र (Leaving sleep) कर अस्पताल में इम्दाद करने पहुंच जाता है। अपने गोविंदगढ़ मोहल्ले पर भी कोरोना का कहर टूटा था।
सिरमौर के मुख्यालय में राम सिंह उर्फ रामू आज परिचय का मोहताज (Enchanted) नहीं है। पहचान का दायरा धीरे-धीरे बढक़र राजधानी के अलावा चंडीगढ़ तक भी पहुंच चुका है। रैडक्रॉस सोसायटी (Red Cross society) के रोगी वाहन (Ambulance) का पायलट बनने के बाद राम सिंह के नेक कार्यों (Noble works) की लंबी फेहरिस्त है।
ताजा घटनाक्रम में पायलट राम सिंह से जुड़ी एक नई जानकारी सामने आई है। आप जानकर हैरान होंगे कि वो एक ऐसा पायलट है, जो कोरोना (Corona) से मौत (Death) के आगोश में समा गए लोगों के शवों को अंतिम संस्कार (Last rituals) की लकडिय़ों तक पहुंचाने में किसी भी वक्त तैयार हो जाता है। 25 जुलाई से 21 सितंबर तक राम सिंह ने शिमला, नाहन, शहजादपुर व चंडीगढ़ से 11 शवों को पैतृक स्थानों (Parental places) तक पहुंचाया है, जिनका अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल (Corona Protocol) के तहत होना था।
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कोरोना संक्रमित (Corona infected) शवों को लाने की वजह से राम सिंह (Ram Singh) को कई मर्तबा क्वारंटाइन (Quarantine) भी होना पड़ा। साथ ही कई बार कोरोना टैस्ट भी हुआ। चूंकि पूरी तरह से समाज सेवा का भाव (feeling) लेकर कार्य में जुटा हुआ है, यही कारण है कि एक भी मर्तबा कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई। बता दें कि अंतिम संस्कार के दौरान भी राम सिंह एक बेटा बनकर मृतक की अंत्येष्टि में अपनी ज़िम्मेदारी निभाता है। शवों को पालियों, सकेती, किशनपुरा, पांवटा साहिब, बनकला, जामन की सैर, चासी के अलावा शिमला से नाहन पहुंचाया। राम सिंह इस बात का हमेशा ध्यान रखता है कि जिस कोरोना संक्रमित को सीधे ही अस्पताल से मोक्षधाम ले जाया जा रहा है, वो चिता में लकड़ी डालना न भूले, क्योंकि इससे बड़ा पुण्य (Saintly) कुछ ओर नहीं हो सकता। आपको बता दें कि वैसे भी जब गरीबों(Poor) को अपने करीबियों के शवों (Dead bodies) को घर ले जाने के लिए कोई वाहन (vehicle) नहीं मिलता तो एक राम सिंह होता है, जो तैयार होता है। यह साफ नहीं है कि समूचे प्रदेश में कोई ओर ऐसा रोगी वाहन का पायलट है, जिसने 11 कोरोना संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक पहुंचाया।
मोटी जानकारी के मुताबिक कोरोना काल (Pandemic) के दौरान पायलट राम सिंह ने रैडक्रॉस सोसायटी (Red cross society) की एंबुलेंस को लगभग 30 हजार किलोमीटर चलाया है। हर कोई उसे रामू कहकर भी पुकारता है। मेडिकल कॉलेज या अन्य जगहों से शवों को ढोने का रिकॉर्ड नाहन में रामू के नाम पर ही दर्ज है। फ़िलहाल इस बात को कहना मुश्किल है कि क्या हिमाचल में कोई दूसरा ऐसा कोई पायलट है, जिसने इतने कोरोना संक्रमित शवों को अंतिम घाट (Crimination ground) तक पहुंचाया हो। ऐसा भी नहीं है कि प्रशासन (Administration) ने राम सिंह की समाज के प्रति निष्ठा (Allegiance) को न पहचाना हो। इसी के चलते उसे स्वतंत्रता दिवस (Independence day) मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना योद्धा (Corona warrior) के सम्मान से नवाजा था। समाज सेवी राम सिंह कोरोना संकट में उस दिन सुर्खियों आया था, जब एक नवजात शिशु को सर्जरी (Surgery) के लिए आपात काल में नाहन से गुरुग्राम लेकर चंद घंटो में पहुंच गया था, जिससे शिशु को नवजीवन ( New life) हासिल हो गया था।
एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में समाज सेवी राम सिंह ने कहा कि वो अपने कार्य में मगन है। उनका कहना था कि यह तो याद नहीं कि कितने शवों को ले जा चुके है, अलबत्ता इतना जरूर है कि 11 कोरोना संक्रमितों के शवों को अस्पताल से सीधे ही मोक्ष धाम तक ले गए , जिनकी चिता पर लकड़ियां डालने का अवसर भी मिला। दीगर (Pertinent) है कि पूर्व दिवंगत मंत्री श्यामा शर्मा (former Minister shayma sharma) की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद राम सिंह ही उन्हें चंडीगढ़ ले जा रहा था।
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