शिमला, 23 सितम्बर : ऊर्जा राज्य के नाम से जाना जाने वाले हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सैंकड़ों सरकारी स्कूलों में बिजली नहीं पहुंच पाई है। आज के दौर में सरकारी स्कूलों (Government schools) के आधुनिकीकरण के लिए खुल कर सरकारी पैसा बहाया जाता है। बावजूद इसके स्कूलों में मूलभूत ढाँचा मुहैया न हो पाना सरकारी तंत्र की नाकामी को उजागर करता है। शिक्षा विभाग द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक राज्य में 312 मिडल स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। सर्वशिक्षा अभियान पर लाखों रुपए खर्च करके बड़े-बड़े दावे करने वाला शिक्षा महकमा इन स्कूलों में बिजली की सुविधा नहीं दे पाया है। ऐसे में इन स्कूलों में बिना बिजली के बच्चों में शिक्षा का अलख जगाया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 2200 के करीब मिडल स्कूल (Middle school) हैं।
सर्वशिक्षा अभियान (Education for all campaign) की ओर से स्कूलों के आधारभूत ढांचे को सुदृढ करने के लिए बजट सालाना मिलता है। फिर भी शिक्षा विभाग इन स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं कर पाया। सरकारी स्कूलों से अभिभावकों (Parents) का मोहभंग होने की ये भी एक वजह हो सकती है क्योंकि अरसे से अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Govind Singh Thakur) कहते हैं कि प्रदेश के 312 मिडल स्कूल बिजली से वंचित हैं। इन स्कूलों में सौर ऊर्जा पैनल स्थापित करने के लिए हिमऊर्जा विभाग को 11.23 करोड़ की राशि जारी की गई है। हिम ऊर्जा विभाग द्वारा 104 पाठशालाओं में सौर ऊर्जा पैनल स्थापित कर दिए गए हैं। जबकि 183 पाठशालाओं में सौर ऊर्जा पैनल का सामान पहुंचा दिया गया है। शेष पाठशालाओं में 30 सितंबर तक सौर ऊर्जा पैनल स्थापित करने का लक्ष्य है।
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