नाहन, 21 सितंबर : ओजस्वी वक्ता। दबंग व स्वाभिमानी। सर कट जाए, सिद्धांत से समझौता नहीं। शीर्ष पद की लालसा का त्याग। आपातकाल (Emergency) में जेल काटने वाली एकमात्र महिला। ये चंद बातें हैं, जो दिवंगत श्यामा शर्मा (Late Ms Shyama Sharma) को करीब से जानने वाले बखूबी समझते हैं। शायद ही आप जानते होंगे कि 22 साल की उम्र में ही मजदूरों (Workers) के हक के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी। 70 का दशक ऐसा था, जब महिलाओं(Women) को आजादी (Independence) लेशमात्र ही थी। वो घर से निकली भी और जेल भी गई। 1975 में एक पल (Moment) ऐसा भी था, जब पुलिस(Police) उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन वो टौंस नदी को तैर कर दूसरे छोर उत्तराखंड में दाखिल हो गई।
कहते हैं, कोयले की भट्टी (Coal furnace) में तपकर जिस तरह से लोहा मजबूत हो जाता है, ठीक उसी तरह से जीवन में संघर्ष की वजह से वो मजबूत हो गई थी। 1975 में आपातकाल के दौरान उत्तराखंड की सीमा पर खोदरी माजरी में यमुना हाईड्रो प्रोजैक्ट (Yamuna Hydro Project) का निर्माण हो रहा था। मजदूरों का शोषण (Victimization) नहीं सहन कर पाई तो मोर्चा खोल दिया। 6 महीने काम करने वाले मजदूरों को कोई अदायगी (Payment) नहीं की जा रही थी। 22 साल की उम्र में मजदूरों के हक की लड़ाई शुरू कर दी। केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य की सरकार ने आंदोलन (Agitation) को कुचलने (Crush) का प्रयास तेज कर दिया। पुलिस जब उन्हें गिरफ्तार करने के लिए खोदरी माजरी पहुंची तो वो उफनती हुई टौंस नदी (Tons River) को तैर कर दूसरे छोर पर उत्तराखंड के जोंसार बाबर (Jaunsar-Bawar) जा पहुंची। एक साल तक भूमिगत (Underground) रहने के बावजूद मजदूरों के शोषण के आंदोलन को जारी रखा। उस समय 600 से अधिक मजदूरों को अस्थाई जेल (Temporary prison) में भी कैद कर दिया गया था। बार-बार जाल बिछाने के बावजूद वो पुलिस के हाथ नहीं आई। हर तीसरे दिन घर पर रेड हो रही थी। इसी से आहत (Hurt) पिता का भी निधन हो गया। अरसे बाद जब नाहन पहुंची तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद सैंट्रल जेल(Central Jail) में शिफ्ट किया गया। वो एकमात्र आंदोलनकारी (Agitator) महिला थी। एमरजेंसी (Emergency) के कानून को लागू कर उन्हें 30 जून 1975 को जेल भेजा गया था। इस दौरान जेल में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार, शिलाई के पूर्व विधायक जगत सिंह नेगी व महेंद्र नाथ सोफत इत्यादि भी रखे गए थे। वो जेपी आंदोलन( JP Agitation) से भी जुडी रही।
बता दें कि 1948 में जन्मी कुमारी श्यामा शर्मा ने उच्चशिक्षा (Higher education) प्राप्त करने में भी कोई कमी नहीं रखी थी। एलएलबी (LLB) के साथ एमए की शिक्षा भी ऐसे वक्त में प्राप्त की थी, जब लड़कियों को दसवीं तक पढऩे की भी अनुमति नहीं थी। आपातकाल के दौरान जेल में कैदियों(Prisoners) के व्यवहार व स्थिति को अच्छी तरह समझा। 1977 में जब शांता कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने तो नाहन सैंट्रल जेल में ही उनका पहला कार्यक्रम हुआ। जेलों में बंद कैदियों के सुधार (Prisoner reform) के लिए कार्यक्रम शुरू करने का ऐलान किया। 1977, 1982 व 1990 में तीन बार विधायक चुनी गई। सिरमौर की पहली महिला विधायक होने का भी गौरव प्राप्त है।
28 जून 1977 से 18 मई 1979 तक पंचायत, सिविल सप्लाई व विधि मंत्री भी रही। 1990 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में जनiता दल अच्छे नतीजे लाने में सफल रहा था। 2007 के विधानसभा चुनाव में बेहद ही मामूली अंतर से चुनाव हारी थी। ऑल इंडिया पीईसी वर्कर्स यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही। 1974 में म्युनिसिपल कमीशनर भी बनी थी।
- ये हैं जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें…
प्रदेश में भाजपा के प्रभारी रहने के दौरान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी तेजतर्रारी व स्वाभिमान को लेकर प्रभावित रहे। - जीवन के पड़ाव में महज चंद घंटे ही अस्वस्थ हुई। यही कारण था कि 21 सितंबर की दोपहर हर कोई अचानक निधन से स्तब्ध रहा।
- वक्ता के तौर पर भी एक अलग पहचान रहेगी, क्योंकि गर्जन एक शेरनी की तरह ही थी। तीन दशक पहले बड़े-बड़े माफियाओं से भी टकराने की हिम्मत रखती थी।
- देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से प्रदेश हित में कई बातों को मनवाने में सफल रही थी। यहां तक की बतौर दिवंगत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को नाहन में जनसभा के लिए भी आना पड़ा था।
- देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाहन के बड़ा चौक में लोकसभा चुनाव में बतौर प्रदेश प्रभारी अध्यक्षता की थी। इसके बाद दिवंगत श्यामा शर्मा ने कालाअंब के एक निजी होटल में गुज्जर समुदाय का एक सम्मेलन भी किया था। इससे मोदी काफी प्रभावित हुए थे।
- अपनी दूसरी पार में प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना संकट से पहले भी दिवंगत श्यामा शर्मा का स्मरण उस समय किया था, जब वो फोन पर पांवटा साहिब के एक बुजुर्ग पार्टी कार्यकर्ता से बात कर रहे थे।
- दिवंगत श्यामा शर्मा राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रही। इस दौरान केंद्र से वित्तीय संसाधन जुटाने में भी कामयाब रही थी।
बहरहाल, अचानक ही पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा के चले जाने से निश्चित ही राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया है।
खबर के इनपुट दिवंगत श्यामा शर्मा के फाइल इंटरव्यू व अन्य विश्वसनीय स्रोतों से जुटाए गए है।