कांगड़ा, 20 सितंबर : फसलों के उत्पादन और गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए, हिमाचल सरकार (Himachal Govt.) आधुनिकतम कृषि तकनीकी को बढ़ावा दे रही है। कृषि में विविधता लाने के उद्देश्य से किसानों-बाग़वानों के लिए नई प्रोत्साहन योजनाएं आरम्भ की गई हैं। लेकिन पिछले कुछ बरसों में लावारिस पशुओं तथा जंगली जानवरों के प्रकोप से व्यथित होकर कई स्थानों पर राज्य के किसानों ने खेतीबाड़ी (Agriculture) करना छोड़ दिया था। उनके लिए खेती घाटे का सौदा बनकर रह गई थी। ऐसे में राज्य सरकार उनकी फ़सलों को लावारिस पशुओं तथा जंगली जानवरों से बचाने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना लेकर आई।
कांगड़ा ज़िला के उपायुक्त राकेश प्रजापति (DC Rakesh Prajapati) बताते हैं कि मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत वर्ष 2019-20 में ज़िला कांगड़ा के 784 किसानों की ज़मीन पर 10.31 करोड़ रुपये व्यय कर 1,26,843 मीटर लम्बी सोलर बाड़बंदी की गई। योजना के तहत सोलर बाड़बंदी के अतिरिक्त कांटेदार तारों और चेनलिंक बाड़बंदी पर 50 प्रतिशत, कम्पोज़िट फेसिंग (Composite facing)पर 70 प्रतिशत जबकि सोलर फेंसिंग (Solar fencing) के लिए 85 प्रतिशत तक सब्सिडी (Subsidy) दी जाती है।गग्गल एयरपोर्ट के नज़दीक कुठमां के रहने वाले राजेन्द्र कुमार, जो पंचायत प्रधान भी हैं, बताते हैं कि पिछले 8-10 वर्षों में उनकी ज़मीन बंजर (barren land) हो गई थी।
जंगली जानवर जिनमें सूअर, बंदर तथा लावारिस पशु शामिल हैं, उनकी ज़मीन पर कोई फ़सल नहीं होने देते थे। तंग आकर उन्होंने अपनी ज़मीन पर खेतीबाड़ी करना छोड़ दी। किन्तु प्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के बारे में जानकारी मिलने पर, उन्होंने विभाग से इस योजना से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त की। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह प्रदेश सरकार की एक अनूठी और अभिनव योजना है, जिसमें किसान-बाग़वान अपना थोड़ा सा हिस्सा देकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं और अपनी ख़ाली ज़मीन पर फिर से खेती कर सकते हैं।
राजेन्द्र बताते हैं कि उन्होंनेे क़रीब 10 कनाल ज़मीन पर 320 मीटर क्षेत्र में सोलर(solar) बाड़बंदी करवाई। इस पर कुल 3,58,543 रुपये ख़र्च हुए जिसमें उन्होंने अपने शेयर के रूप में 1,07,562 रुपये दिए जबकि कृषि विभाग से उन्हें 2,50,980 रुपये का उपदान मिला। योजना की एक अन्य लाभार्थी, शाहपुर पंचायत के सिहोलपुरी गांव की मिथिला शर्मा बताती हैं कि उनके खेतों पर नीलगाय, सुअरों तथा बंदरों का इतना ज़्यादा आतंक था कि वे मक्की और गेहूं की फ़सल के अलावा हल्दी या साग तक भी नहीं होने देते थे। योजना का पता लगने पर उन्होंने अपनी ज़मीन पर लगभग 310 मीटर क्षेत्र में बाड़बंदी करवाई जिस पर लगभग 3,36,927 रुपये ख़र्च हुए। मिथिला ने अपने हिस्से के रूप में 1,01,078 रुपए जमा करवाए जबकि विभाग ने उन्हें 2,35,849 रुपये की सब्सिडी प्रदान की।
दोनों लाभार्थी प्रदेश सरकार का आभार जताते हुए कहते हैं कि प्रदेश सरकार की ऐसी अभिनव और कल्याणकारी योजनाओं से ही, हम जैसे किसानों की अपनी बंजर पड़ी ज़मीन पर फ़सल बीजना सम्भव हो पाया है। जिला कृषि अधिकारी, पालमपुर कुलदीप धीमान बताते हैं कि इस योजना के तहत किसानों के खेत के चारों ओर बाड़ लगाई जाती है। जिसे सोलर ऊर्जा से संचालित किया जाता हैै। इसे चलाने में बिजली इस्तेमाल नहीं होती। जैसे ही कोई जानवर तार के सम्पर्क में आता है, उसे हल्का सा करंट लगता है और वह भाग खड़ा होता है। करंट हल्का होने के चलते मनुष्य के इसके सम्पर्क में आने से उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।