शिमला, 15 सितम्बर : शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा है कि देश में नई शिक्षा नीति 34 साल बाद आई है। इससे देश में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंंने कहा कि पहली शिक्षा नीति वर्ष, 1968 में आई, जिसके बाद वर्ष 1986 में इसे लाया गया। वह आज सदन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि नई नीति का लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है। इससे वर्ष, 2040 तक भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था का ढांचा बनेगा, जो सबको आगे बढऩे के अवसर प्रदान करेगा। गोविंद सिंह ने कहा कि शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6 फीसदी बजट कभी नहीं मिला। इसलिए वर्तमान सरकार इसे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल से इसे सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। अब इस नीति का विस्तृत खाका बनाया जा रहा है।
इससे पहले भाजपा विधायक कर्नल इंद्र सिंह ने नई शिक्षा नीति को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अब नया सिस्टम आएगा, जिससे व्यावसायिक शिक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा। विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने कहा कि अब शिक्षा को नौकरी के नजरिए से ही लिया गया है। अब तक की शिक्षा नीति में कई ख़ामियाँ रही है, जिसे नई नीति में दूर करने का प्रयास किया गया है।
विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए सरकार ने टास्कफाॅर्स बनाई है, जो इसे लागू करने करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति लाभदायक सिद्ध होगी। विधायक बलबीर सिंह ने कहा कि भारत को विश्व गुरू बनाने में नई राष्ट्रीय नीति मील का पत्थर साबित होगी। विधायक कमलेश कुमारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक बदलाव किया गया है। विधायक हीरा लाल ने कहा कि 34 साल बाद नई राष्ट्रीय नीति को नए प्रावधानों के साथ लागू किया जा रहा है। विधायक जियालाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में नया मंडल अपनाया जाएगा, जिससे छात्रों को लाभ होगा।