शिमला, 14 सितम्बर : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2018-19 में 3512 करोड़ रुपये रहा। वर्ष 2017-18 की तुलना में घाटा 358 करोड़ कम हुआ। राज्य का राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) 2017-18 में राजकोषीय घाटा 3870 करोड़ रुपये रहा था। राज्य विधानसभा में सोमवार को रखी गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur)ने शिमला में विस के मानसून सत्र में यह रिपोर्ट पेश की। अहम बात यह है कि ये रिपोर्ट वर्तमान जयराम सरकार के पहले साल के कार्यकाल की जयराम के नेतृत्व में भाजपा सरकार वर्ष 2018 में सत्तासीन हुई थी।
कैग रिपोर्ट (CAG ) में प्रदेश में बढ़ते कर्जों के बोझ पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014-15 में प्रदेश सरकार के लोक ऋण 25729 करोड़ थे। ऋण की यह राशि साल 2018-19 में बढ़ कर 36425 करोड़ हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक ऋणों की औसत बढ़ोतरी 9.60 फीसद है।
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2018-19 में कर राजस्व के अंतर्गत संग्रहण में 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट 675 करोड़ रूपए की रही। कर में यह गिरावट वेट व वस्तु एवं सेवा कर में गिरावट के कारण दर्ज की गई। इसके अलावा राज्य में वर्ष 2018-19 के दौरान चार घटकों यानि वेतन व मजदूरी, पेंशन देयताओं, ब्याज भुगतान व उपदानों पर कुल राजस्व व्यय का 73 प्रतिशत खर्च किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 स्वायत्त निकायों में से केवल 3 ने ही अपने वर्ष 2018-19 के लेखे प्रस्तुत किए थे। शेष 11 संस्थाओं ने एक वर्ष के विलंब के बावजूद भी अपने लेखे प्रस्तुत नहीं किए थे।