चौपाल, 14 सितंबर : उपमंडल के कुपवी क्षेत्र के धार चांदना गांव में 26 वर्ष का लाल अत्तर सिंह राणा (Attar Singh Rana) दोपहर बाद जब तिरंगे में लिपटा पहुंचा तो समूची घाटी गमगीन (Inconsolable) हो उठी। हरिपुरधार पहुंचते ही शहीद (martyr) को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए लोग कतारबद्ध थे। गांव के प्रांगण में तिरंगे में लिपटी पार्थिव देह को कुछ देर के लिए अंतिम दर्शनों हेतु रखा गया। इसी दौरान कुछ पलों के लिए चारों तरफ खामोशी छा गई। जैसे ही शहीद की मां सहित अन्य परिजनों ने शहीद बेटे का चेहरा देखा तो पूरी घाटी चीखो पुकार से गूंज उठी।
मां फुलमा देवी व पिता हरि राम राणा की आंखें नम तो थी, मगर बेटे की शहादत (Martyrdom) पर वो गौरवान्वित भी महसूस कर रहे थे। तिरंगे में लिपटा बेटा कुछ देर के लिए ही घर आया था, क्योंकि इसके बाद उसे अनंत सफर पर निकल जाना था। करीब पौने घंटे की पैदल अंतिम यात्रा में हिस्सा लेने के लिए आसपास के गांवों का बड़ा सैलाब उमड़ गया था। छोटे भाईयों गीता राम व रमेश ने शहीद अत्तर सिंह राणा को मुखाग्रि दी। अंतिम यात्रा के दौरान पूरा इलाका भारत माता के जयघोष से गूंज रहा था।
करीब पौने घंटे की पैदल अंतिम यात्रा में हिस्सा लेने के लिए आसपास के गांवों का बड़ा सैलाब उमड़ गया था। परिवार की रोटी-रोटी का एकमात्र सहारा शहीद अतर सिंह राणा ने चीन बॉर्डर पर शहादत हासिल कर ली थी। इसकी सूचना परिवार को 10 सितंबर की रात मिली। आज चौथे दिन हजारों किलोमीटर दूर से पार्थिव देह घर पहुंची तो माहौल बेहद ही भावुक कर देने वाला था। अपने पीछे माता-पिता के अलावा दो बहनें व तीन भाईयों को छोड़ गए हैं। मासूम भतीजे व भतीजी को कतई भी इस बात का इल्म नहीं था कि चाचू तो देश पर अपने प्राण न्यौछावर (Life sacrificed) कर देने के बाद कभी भी घर नहीं लौटेंगे।
मार्च 1994 में जन्में शहीद अत्तर सिंह राणा ने 18 साल की उम्र में ही खुद को मां भारती के प्रति समर्पित कर दिया था। बता दें कि शहीद अत्तर सिंह राणा का गांव लाखों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक चूड़धार चोटी (Churdhar Peak) की तलहटी में बसा हुआ है। तराहं से भी लोग चूड़धार चोटी की यात्रा करते हैं।
। शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। बताया गया कि 26 साल के अविवाहित अत्तर सिंह राणा ने एक ब्लास्ट हादसे में अपने प्राण देश पर न्यौछावर कर दिए। पंचायत प्रधान आत्मा राम लोधटा ने बताया कि शहीद की पार्थिव देह करीब दो बजे घर पहुंची थी। इसके बाद कुछ देर में अंतिम यात्रा शुरू हुई। करीब चार बजे के आसपास शहीद को छोटे भाईयों ने मुखाग्रि दी।
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शहीद के पिता हरी राम राणा और माता फुल्मा देवी ने बताया की उन्होंने अपना बेटा देश सेवा में क़ुर्बान कर दिया है, जिसके लिए उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। शहीद के बड़े भाई दलिप सिंह राणा ने बताया की कई लोग सेना में भर्ती होते है, मगर सभी को देश के लिए अपना सर्वस्व क़ुर्बान करने का मौक़ानहीं मिलता है। उन्हें गर्व है की उनका छोटा भाई माँ भारती के लिए बॉर्डर पर शहीद हुआ है। विधायक बलवीर वर्मा ने बताया की भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर जवान अत्तर सिंह राणा की शहादत पर पूरे हिमाचल को गर्व है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ़ से शहीद के परिजनों को 5 लाख रू की आर्थिक सहायता मुहैया करवाई गई है। इसके अलावा नियमों के अनुसार जो भी सम्भव होगा वो हर मदद शहीद के परिजनों को मुहेया करवाई जाएगी। शहीद (Martyr) की अंत्येष्टि में चौपाल के विधायक बलबीर सिंह वर्मा के अलावा एसडीएम, डीएसपी व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। इसके अलावा जिला परिषद सदस्य डीआर राजटा व भाजपा मंडल अध्यक्ष इत्यादि सैंकड़ों लोग मौजूद थे।