नाहन, 30 अगस्त : कश्मीर घाटी(Kashmir Valley) के बारामूला में 24 साल के शहीद प्रशांत ठाकुर (Martyr Parshant Thakur) की शहादत को करीब 2 सप्ताह का समय बीत चुका है, मगर हैरान कर देने वाली बात यह है कि हिमाचल की जय राम सरकार (Himachal government) ने अब तक परिवार को कोई भी आर्थिक मदद (Financial help) के अलावा सरकारी नौकरी (Government job) का ऐलान नहीं किया है। एक ही मुठभेड़ (Encounter) में उत्तर प्रदेश का एक वीर सपूत भी बारामुला में शहीद हुआ था, उसकी शहादत (Martyrdom) पर यूपी सरकार (UP Government) ने न केवल तुरंत ही 50 लाख की आर्थिक मदद का ऐलान कर दिया था, बल्कि सरकारी नौकरी के अलावा एक सड़क का नामकरण भी शहीद के नाम पर करने का फैसला लिया था। यही कारण है कि अब धारटीधार के साथ-साथ समूचे सिरमौर के युवा जयराम सरकार (Jairam government) से यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर शहीदों में इस तरह का भेदभाव क्यों अपनाया जा रहा है। हालांकि परिवार ने अपने स्तर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन युवाओं में शहादत की अनदेखी को लेकर आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। यह मामला सोशल मीडिया में भी धीरे-धीरे तूल पकड़ने लगा है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को करीब आधा दर्जन युवाओं ने इस मामले को उजागर करने का आग्रह किया है। खास बात यह भी है कि अंत्येष्टि (Cremation) के दिन तो प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कांग्रेस (Congress) के स्थानीय विधायक विनय कुमार (Vinay Kumar) भी मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन इसके बाद कांग्रेस के स्थानीय विधायक का भी कोई ऐसा बयान अब तक नहीं आया है कि सरकार तुरंत ही शहीद के परिवार को आर्थिक मदद (Financial Help) करे। छोटी सी उम्र में देश पर अपने प्राण न्योछावर(Life Sacrificed) करने वाले शहीद प्रशांत ठाकुर ने 18 साल की उम्र में ही भारतीय सेना (Indian Army) में अपनी सेवाएं शुरू कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) में केवल फेसबुक (Facebook) पेज पर ही श्रद्धा सुमन अर्पित किए थे। बडी बात यह है कि मुख्यमंत्री अपना उड़नखटोला (Helicopter) लेकर टूर करने लगे है। सवाल यह भी उठता है कि क्या कुछ समय निकालकर मुख्यमंत्री परिवार को के ढाढ़स बंधाने (console family) धारटीधार के गवाना गांव तक नहीं पहुंच सकते थे। बता दें कि अंत्योष्टि में शामिल हुए नेताओं (Leaders) व अधिकारियों ने शहीद के अंतिम संस्कार के वक्त की तस्वीरों को बढ़-चढ़कर सोशल मीडिया में भी पोस्ट किया था। रविवार को कुछ समाचार पत्रों में यह भी सुर्खियां बनी है कि पालमपुर (Palampur) में एक शहीद की प्रतिमा को बनाने में 21 साल का वक्त लगा। ऐसी में शहीद प्रशांत ठाकुर (Shahid Parshant Thakur) की शहादत को भी भुला दिया जाएगा।
यह भी पढ़े सिरमौर के धारटीधार के 24 वर्षीय लाल ने मां भारती की रक्षा में न्योछावर किए प्राण, पाई शहादत
युवाओं का कहना है कि जब उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सरकारें पिछले तीन सप्ताह में अपने राज्यों के शहीदों के लिए 50- 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद के साथ नौकरी का ऐलान कर सकती है तो हिमाचल सरकार अब तक क्यों खामोश बैठी हुई है। उधर सैनिक कल्याण बोर्ड (Sanik welfare board) के उप निदेशक मेजर (Retd) दीपक धवन ने पूछे जाने पर कहा कि एक्स ग्रेशिया (Ex Gratia) के तहत 20 लाख की आर्थिक मदद व सरकारी नौकरी का प्रावधान है। अलबत्ता अगर ये मान लिया जाता है तो इसके मायने ये है कि अगर यूपी या एमपी का लाल शहीद होता है तो मदद 50 लाख की होगी, वही हिमाचली बेटे के परिवार को लंबी जद्दोजहद के बाद 20 लाख मिलेंगे, जिसमे भी सरकार शहीद प्रशांत ठाकुर (Martyr Parshant Thakur) के मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।