शिमला, 29 अगस्त : आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court)ने 3 हफ्ते के भीतर हेल्पलाइन नंबर(Helpline Number) एक्टिवेट करने के प्रदेश सरकार(HP. Govt) को आदेश दिए हैं। हेल्पलाइन नंबर की पब्लिसिटी के लिए सरकारी संचान माध्यमों के साथ-साथ अखबारों में भी विज्ञापन देने को कहा है। कोरोनाकाल में लगातार बढ़ रही आत्महत्याओं(suicide) की घटनाओं को रोकने के लिए दायर याचिका की सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने ये आदेश दिए हैं। मामले पर अगली सुनवाई 15 अक्तूबर को होगी।
याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट तुषार ने याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान बहुत सारे लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि सरकार उसी की रोकथाम में असहाय है। याचिकाकर्ता ने गुहार लगाई है कि प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017 को अक्षरशः लागू करवाया जाए। इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम से संबंधित विभिन्न प्रावधान हैं।
अधिनियम की धारा 18 मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार से संबंधित है और धारा 45 राज्य मानसिक प्राधिकरण की स्थापना के लिए प्रदान करती है और धारा 29 उचित सरकार के कर्तव्यों से संबंधित है। धारा 29 (2) विशेष रूप से देश में आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयास को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की योजना, डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए उपयुक्त सरकार के कर्तव्य के बारे में बोलती है। याचिकाकर्ता की यह दलील थी कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत प्रावधानों को यदि अक्षरशः लागू किया जाता है तो आत्महत्याओं की संख्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।