स्कूल में सात सौ छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिनकी शिक्षा का जिम्मा 26 अध्यापकों को सौंपा गया है। इसके अलावा क्लास फोर व अन्य कार्यालय के स्टाफ को मिलाकर करीब 40 सरकारी कर्मचारी स्कूल में तैनात हैं। परंतु पूछने पर पता चला कि इनमें से किसी भी कर्मचारी को स्कूल से छात्रों के भागने की खबर तक नहीं है। विडंबना तो यह है कि करीब चार माह बाद स्कूल की वार्षिक परीक्षा होने वाली है। ऐसे में नवंबर व दिसंबर में होने वाली पढ़ाई को अहम माना जाता है।
इन्हीं महीनों में छात्रों को वार्षिक परीक्षा के लिए अध्यापक भी कड़ी मेहनत करवाते हैं, परंतु उक्त स्कूल में यह सब हो रहा है। वहीं इस संबंध में स्कूल के एक अध्यापक पदम सिंह राणा ने बताया कि उन्होंने कई बार दीवार को फांद कर भागने वाले छात्रों के अभिभावकों को स्कूल में बुला कर अवगत करवाया है लेकिन उक्त छात्रों पर इसका कोई भी असर नहीं हुआ। कई बार इनके स्कूल से नाम तक काटे गए। बावजूद इसके छात्र बाज नहीं आ रहे हैं। शीघ्र ही इस समस्या के समाधान का हल किया जाएगा।
स्कूल परिसर के चारों तरफ ऊंची दीवार, कंटीली तारें, लोहे के गेट की उचित व्यवस्था कर रखी है। फिर भी अपनी जान को जोखिम में डाल कर स्कूल से छात्र भाग रहे हैं। इन छात्रों के अभिभावकों को स्कूल में बुला कर उचित कार्रवाई की जाएगी। शीघ्र ही स्कूल परिसर के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। ताकि स्कूल परिसर से भागने वालों पर लगाम लगे। इस बारे में उच्च अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। –राम चंद्र, प्रधानाचार्य, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल (बाल) जोगेंद्रनगर।
-सुशील पुंडीर, उच्च शिक्षा उपनिदेशक, मंडी।