शिमला, 08 अगस्त: कोरोना महामारी ने एचआरटीसी(HRTC) की कमर तोड़ दी है। जून माह मेंअनलॉक शुरू होने पर 60 फीसदी क्षमता के साथ एचआरटीसी की बसें दौड़नी शुरू हुईं, वहीं जुलाई माह में ओक्यपैंसी 100 फीसदी कर दी गई। बावजूद इसके एचआरटीसी की कमाई पर कोई असर नहीं पड़ा। अलबता रोजाना करीब 80 फीसदी का घाटा झेलना पड़ रहा है। अनलॉक(Unlock) के दो माह बाद भी एचआरटीसी की कमाई में इजाफा नहीं हुआ है। जिससे एचआरटीसी के कर्मचारियों के वेतन पर हर माह संकट बढ़ता जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां बसों के चलने से एचआरटीसी को प्रतिदिन 2 से 2.15 करोड़ की कमाई होती थी। वहीं यह कमाई अब 35 से 40 लाख तक सीमित होकर रह गई है।
वहीं बात करें मासिक कमाई तो यह कमाई कभी 70 से 75 करोड़ रुपए हुआ करती थी। लेकिन कोरोना संकट काल में यह कमाई मात्र 9 से 10 करोड़ हो रही है। जिससे कर्मचारियों का वेतन तक भी नहीं निकल रह रहा है। ऐसे कर्मचारियों का हर माह वेतन संकट गहराता हुआ दिखाई दे रहा है। पिछले दो माह से कर्मचारियों को माह की 10 से 15 तारीख के बाद वेतन मिल रहा है। वहीं अभी भी जुलाई माह का वेतन जारी नहीं हुआ है।
एचआरटीसी की आय घटने की सबसे बड़ी वजह बसों में लोगों का कम सफर करना है। एचआरटीसी की अधिकतर बसें बहुत कम सवारियों के साथ दौड़ रही हैं। सबसे ज्यादा नुकसान लांग रूट पर चलने वाली बसों को हो रहा है। अनलॉक-2 में राज्य सरकार के निर्देशों के बाद एचआरटीसी में शत प्रतिशत सीटों पर यात्रियों के बैठने की अनुमति है,लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना के डर से लोगों बसों में कम सफर कर रहे हैं और अब बसों में ऑक्यूपेंसी 33 से 35 प्रतिशत पहुंची है।