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हमीरपुर, 03 अगस्त: देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात सेना का हर जवान देश के लिए प्राण न्योछावर करने के लिए सदैव तैयार रहता है। शुक्रवार की रात्रि जम्मू की पुंछ घाटी में शहादत पाने वाले 24 वर्षीय रोहिन कुमार को क्या पता था कि यह रात उसकी जिंदगी की आखिरी रात होगी। रोहिन कुमार अक्सर घर पर अपने माता- पिता से बात किया करता था।
वीरवार को माता कमलेश कुमारी से बात हुई। शुक्रवार को बहन राखी कुमारी से आखिरी बात हुई। बहन ने इकलौते भाई से पूछा कि भईया राखी पंहुच गई और भाई ने अपनी प्यारी बहन से घर में शादी की हो रही तैयारियों के बारे में पूछा। यह किसी को पता नहीं था कि रोहिन कुमार अपनी बहन से आखिरी बार बात कर रहा है फिर कभी मौका नहीं मिलेगा। बहन की राखी को कलाई पर बांधने से पहले ही देश के वीर बेटे ने शहादत हासिल कर माँ भारती के चरणों में प्राण न्योछावर कर दिए। शहीद के घर में 85 वर्ष की दादी भी है। पूरा परिवार गमहीन में डूबा हुआ है। शहीद का राजकीय सम्मान से शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया।
बहन राखी कुमारी अब अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएगी। बस अब यादें ही रहेगी। आज राखी है सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी आयु की कामना करती है। पाकिस्तान की ओर से किए सीजफायर उल्लंघन में हमीरपुर के खास गलोड़ का रोहिन कुमार शहीद हो गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहीद 2016 में सेना की 14 पंजाब रैजीमेंट में भर्ती हुआ था। वह अपने माता पिता का इकलौता बेटा था। उसकी माता बीमार रहते है जिसके चलते शहीद की शादी 12 नंवबर 2020 को होना तय हुई थी। ताकि बहू का सुख मिल सके। वहीं पिता हलवाई का काम करते हैं। वहीं बहन की शादी पहले ही हो चुकी है। पूरा परिवार शादी की तैयारियों में लगा था। भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था। शुक्रवार की काली रात्रि रोहिन कुमार के लिए काल बनी और सीजफायर में शहादत का जाम पिया।