शिमला 30 जुलाई: बहुप्रतीक्षित जयराम मंत्रिमंडल का गुरूवार को विस्तार हुआ। राजभवन में आयोजित सादे एवं गरिमापूर्ण समारोह में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 3 मंत्रियों को मंत्री पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल में कांगड़ा, सिरमौर और बिलासपुर जिलों को प्रतिनिधित्व मिला हैं मंत्री बनने वाले नए चेहरों में सिरमौर से सुखराम चौधरी, कांगड़ा से तेजतर्रार विधायक राकेश पठानिया, और बिलासपुर से राजेंद्र गर्ग शामिल हैं। 11ः15 बजेे सबसे पहले सुखराम चौधरी ने पद व गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद राकेश पठानिया ने अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की। आखिर में राजेन्द्र गर्ग ने मंत्रिपद की शपथ ली। सुखराम और राजेंद्र गर्ग ने हिंदी में शपथ पत्र पढ़ा।
अपने सियासी जीवन में ये तीनों पहली बार मंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे। राकेश पठानिया का पहले से मंत्री बनना तय था। इसी तरह सुखराम चौधरी भी मंत्री पद के दावेदार थे। मुख्यमंत्री जयराम ने राजेंद्र गर्ग को मंत्री बनाकर सबको चैंका दिया। घुमारवीं के विधायक राजेंद्र गर्ग के मंत्री बनने से सरकार में पहली बार बिलासपुर जिला को प्रतिनिधित्व मिला है। कैबिनेट विस्तार के दौरान हतप्रभ करने वाली बात यह रही कि पूर्व भाजपा अध्यक्ष व नाहन से विधायक राजीव बिंदल को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। स्वास्थ्य घोटाले में घिरे बिंदल ने दो माह पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। अढ़ाई साल पहले जयराम सरकार के गठन पर राजीव बिंदल विधानसभा अध्यक्ष बनाए गए थे। इसी साल जनवरी माह में उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बन गए।
1. सुखराम चौधरी- 56 वर्षीय सुखराम चौधरी भी तीन बार के विधायक हैं। वर्ष 2003 और वर्ष 2007 में बीजेपी नेता सुखराम ने लगातार दो बार जीत दर्ज की है। लेकिन वर्ष 2012 में वह जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गए थे। वर्ष 2017 में फिर जीत हासिल कर वह विधायक बने। सुखराम चौधरी पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के बेहद करीबी रहे हैं। 2017 में धूमल के चुनाव हारने के बाद उन्होंने धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ने की पैरवी की थी। सुखराम चौधरी वर्ष ने 1982 से 1998 तक हिमाचल बिजली बोर्ड में नोकरी की है।
अहम बात यह है कि राजेंद्र गर्ग मौजूदा मंत्रिमंडल में एकमात्र ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें पहली बार विधायक बनने के बाद मंत्री की कुर्सी नसीब हुई है। राजेंद्र गर्ग ने वर्ष 2012 में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 2017 में उन्होंने बिलासपुर के अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है। राजेंद्र गर्ग की सियासत की शुरूआत छात्र संगठन एबीवीपी से हुई। वर्ष 1986-87 में वह बिलासपुर एबीवीपी के संयोजक रहे। 1987-88 में राज्य सचिव बने। वह सात साल एबीवीपी में पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में मध्य प्रदेश में रहे हैं।
इसके बाद राजेन्द्र गर्ग ने पत्रकारिता जगत में भी काम किया। वर्ष 2000 से 2006 तक वह एक दैनिक समाचार पत्र में स्थानीय संवाददाता रहे। शांत स्वभाव व ईमानदार नेता की छवि के चलते उन्होंने हलके में अलग साख बनाई है। राजेंद्र गर्ग को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का करीबी माना जाता है।