सोलन, 26 जुलाई: कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ पर पूरा देश शहीद सैनिकों को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। वहीं शहीद सैनिकों(Martyred soldiers) के परिवार भी अपने जिगर के टुकड़ों की बहादुरी को याद करते हुए ग़मगीन आंखों से गर्व महसूस कर रहे हैं।
ऐसे ही जौणा जी रोड के रहने वाले शहीद कैप्टन संजय चौहान की बजुर्ग माँ( Mother of martyr Captain Sanjay Chauhan) के साथ भी बीत रहा है। बेटे के अतीत को बताते हुए बजुर्ग माँ निर्मल चौहान की आँखों से लगातार आंसू बहते रहे। शहीद बेटे की तस्वीरो को खंगालते हुए नम आँखों से बेटे की बहादुरी के बारे में भी बताती रही।
शहीद संजय चौहान का जन्म 26 नवंबर 1968 को सोलन में ही हुआ था। प्राम्भिक शिक्षा सेंट ल्यूक्स स्कूल से हुई। वर्ष 1991 में उनकी भारतीय सेना की 16 राजपूताना राईफल्स में नियुक्ति हुई, तत्पश्चात जम्मू कश्मीर में चले ऑपरेशन रक्षक में अपनी सेवाएं देने का मौका प्राप्त हुआ।
इसी अभियान के तहत 29 अक्तूबर 1994 को दुश्मनों से लड़ते हुए हुए एक- एक विदेशी व स्थानीय आतंकवादी को मार गिराया और वीरता से लड़ते हुए उन्होंने माँ भारती के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ शंकर दयाल शर्मा(President, Late Dr. Shankar Dayal Sharma) ने उनको वीरता के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से अलंकृत किया था। सोलन में मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन संजय चौहान का परिवार भी गर्वीली आँखों से अपने बेटे को याद करते हुए आखिरी मुलाकात में हुई बातों को एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क(MBM News Network) से सांझा किया। संजय चौहान के बड़े भाई से बात की तो उन्होंने कहा कि वह शहीदों को लेकर सरकारों के रवैये से तो संतुष्ट हैं। लेकिन सरकार को चाहिए कि शहीदों के परिवारों की देखभाल अच्छी तरह से की जाये।
https://youtu.be/ylb7OG1GV_I