आनी(कुल्लु)/राकेश ठाकुर
जिले के दूर दराज़ क्षेत्र दुराह में इस बार प्राचीन एवं ऐतिहासिक पजाई मेला नहीं मनाया जाएगा। कई सालों से मनाया जा रहा यह मेला कारोना महामारी के चलते इस बार नही मनाया जा रहा है, यह मेला सावन के महीने की पांचवी प्रविष्टि को मनाया जाता है। मेले की एक अनोखी छटा है। सावन के महीने में मनाया जाने वाला ये मेला आसपास के क्षेत्रों में मशहूर है।
मेले के दिन माता भुवनेश्वरी के रथ को सजाया जाता है। जब माता के इस रूप के दर्शन होते ,है तो सब लोगों को आनंद एवं सुख की अनुभूति होती है और सब लोग माता से अपने परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
यह मेला दो दिन तक चलता है, लोग पारम्परिक नाटी डालकर मेले का आनंद लेते है। मेले के दिन की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस रात्रि कार्यक्रम में स्थानीय एवं बाहर से बुलाए गए कलाकार सांस्कृतिक संध्या में अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंजन करते है। मेले से पहले खेलकूद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है इसका मुख्य आकर्षण बॉलीबॉल एवम कबडडी प्रतियोगिता होती है जिसमे लोग बड़चढ़ कर भाग लेते है ।
माता के मंदिर की अगर बात करें तो यह मंदिर काष्ठ प्रस्तर निर्मित काठकुणी शैली से बना एक मंजिल का यह मंदिर लगभग तीन सौ साल पुराना है। इसके गर्भगृह द्वार पर काष्ठकला है। गर्भगृह के बाहर लकड़ी के स्तम्भ पर छत निर्मित है, जिसके नीचे खुले कक्ष में हवन कुंड है। माता के अधिकार क्षेत्र गांव गौरा, शाईं, शेगनी, शमोह,जगेढ, बखुन, जलोड़ी, पडौर,सम्पूर्ण लोट व दुराह पंचायत है ।