नाहन, 23 जुलाई : शहर में कोरोना संक्रमण बेकाबू होने की स्थिति में है। सोशल मीडिया (Social Media) व नुक्कड़ चर्चाओं में ऐसे हालात में नाहन में लॉकडाउन (Lockdown) लगाने की बातें हो रही हैं। सवाल इस बात पर उठता है कि क्या खुद अपना दायित्व लेते हुए लोगों को खुद ही जनता कर्फ्यू का ऐलान नहीं कर देना चाहिए। सरकार पर ही हर बात के लिए क्यों नजरें गड़ाई जा रही हैं। बता दें कि अकेले गोविंदगढ़ मोहल्ला (Govindgarh Mohalla Nahan) में ही संक्रमितों का आंकड़ा 100 पार कर चुका है। बावजूद इसके दुकानें खुली हैं, लेकिन इक्का-दुक्का ग्राहक ही हैं। ऐसे में अगर खुद ही व्यापार मंडल बंद रखने का निर्णय ले तो क्या हर्ज है। हालांकि शहर में आवाजाही में धीरे-धीरे गिरावट आई है, लेकिन यह भी नहीं कहा जा सकता कि कर्फ्यू या फिर लॉकडाउन जैसी स्थिति है।
समूचे प्रदेश में हॉटस्पॉट (Hotspot) बन चुका नाहन का मोहल्ला गोविंदगढ़ के हालात सुधरे नहीं हैं। 8 दिन का वक्त हो चुका है, लगातार मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में यह भी प्रश्न उठाया जा रहा है कि इस विकट परिस्थिति से निपटने के लिए समाज अपने स्तर पर क्या कदम उठा रहा है। आपको यहां बताना जरूरी होगा कि अगर प्रशासन लॉकडाउन लगाता भी है तो उस स्थिति में प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को यह दबाव बनाया जाता है कि “सब्जियां नहीं मिल रही”, “दूध नहीं मिल रहा”। फ्लां ने आधी दुकान का शटर खोल रखा है, वो शटर डाउन कर सामान बेच रहा है इत्यादि। अब ऐसे हालात में प्रशासन या फिर विभाग क्या कार्रवाई करेगा।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि अगर घर से नहीं निकले तो उनकी अपनी सुरक्षा है। यह बात वैश्विक महामारी (Global epidemic Corona virus) के शुरू होने के पहले दिन से ही बताई जा रही है। बाजार में चंद दुकानदार ऐसे भी हैं, जो अपने स्तर पर दुकानें बंद करने का फैसला ले रहे हैं। यह भी समझना जरूरी हो चुका है कि अब तक गोविंदगढ़ मोहल्ले की ही सैंपलिंग (Sampling) चल रही है, जहां से लोग शहर की कई दुकानों व घरों में भी रोजगार (Employment) के मकसद से जाते हैं। हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन बताया यह भी जा रहा है कि वो दुकानें भी खोली जा रही हैं, जिनमें काम करने वाले संक्रमित पाए गए हैं।
कुल मिलाकर वैश्विक महामारी में ऐतिहासिक नाहन शहर एक ऐसे मुकाम पर आ चुका है, जहां एक-एक शहरवासी को अपना दायित्व समझना पड़ेगा ही, साथ ही प्रशासन व विभाग को भी सहयोग करना होगा। आप यह भी समझिए कि जो लोग दिन-रात कोरोना योद्धा के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनके भी मासूम बच्चे व परिवार है।