शिमला: हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज(IGMC) एवं अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद(Dr Shikha Sood) ने जुब्बल के 63 वर्षीय जिया लाल को नई जिंदगी दी है। इसके साथ ही एक गंभीर रूप से बीमार महिला मरीज सत्या, जो कि सोलन से आई थी तथा पित्त की थैली(Gall bladder) के कैंसर से ग्रसित थी, का भी सिंगल सिटिंग में इसी प्रक्रिया से सफल इलाज कर दिया। परकुटेनियस ट्रांसहपैटिक बिलयरी ड्रेनेज विद इनटरनेलाइज शन सर्जरी(Biliary obstruction) से डॉ. शिखा सूद ने मरीज का उपचार बिना चीर फाड़ किया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। आईजीएमसी के इतिहास में किसी मरीज का इस तरह का यह पहला ऐसा उपचार किया गया है।
डॉ. शिखा ने बताया कि मरीज की कुछ समय पहले पित्त की थैली निकाल दी गई थी तथा उसे पुन: गंभीर अवस्था में अस्पताल में दाखिल किया गया। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड में मरीज की पित्त की नली में अढ़ाई सेंटीमीटर का पत्थर फंसा नजर आया तथा उसके नीचे के हिस्से में सिकुड़न थी, जिसके कारण मरीज की जिगर की नलियां फूल गई हैं तथा उसमें संक्रमण होने के कारण मरीज बेहद गंभीर स्थिति में मिला। मरीज आपरेशन के लिए फिट नहीं था अत: ईआरसीपी करके स्टंट डालने की कोशिश जब नाकामयाब हुई तो डॉ. शिखा ने बिना चीरफाड़ मरीज की चमड़ी से नली डाली और पित्त की नली से होते हुए पत्थर तथा सिकुड़न से गुजरते हुए पित्त को छोटी आंत (small intestine) तक पहुंचा दिया। इससे मरीज का पीलिया(Jaundice) एवं बुखार ठीक हो गया तथा उसे भूख लगने लगी कुछ दिनों में अब यह मरीज पहले की भांति चुस्त और दुरूस्त हो जाएगा। इस तरह मौत को मात देते हुए मरीज का एक घंटे के भीतर उपचार करने में डॉ. शिखा सफल रही। डॉ. शिखा सूद(Dr Shikha Sood) ने बताया कि कुछ दिनों बाद वह मरीज में स्टंट डालकर उसकी चमड़ी में लगी नली हमेशा के लिए निकाल देंगी।
डॉ. शिखा ने मरीज के उपचार के दौरान न ही उन्हें बहोश किया और न ही कोई चीर फाड़ की। उनके तुजुर्बे ने उनका हौसला बुंलद रखा और मरीज के जिगर में रूके पित्त का उपचार किया। डॉ. शिखा ने इस बुजुर्ग मरीज को बड़े आपरेशन से बचा लिया। ध्यान रहे कि यह प्रक्रिया कैंसर के मरीज़ों या अन्य बीमारियों जो कि जिगर में पित्त की रूकावट करती है, उसमें आसानी से उपचार करती है। इस आपरेशन में मरीज को एक, दो या तीन बार सीटिंग देनी पड़ती है। मरीज को पित्त की नाली में स्टंट डालकर इसका उपचार संभव है, जो मरीज कैंसर की हायर स्टेज में है और आपरेशन के लिए फिट नहीं है या आपरेशन के लिए फिट है, परंतु अभी पहले कीमोथेरेपी अन्यथा रेडियोथेरिपी से गुजरना है, उनके लिए भी वरदान साबित होती है।
डॉ. शिखा ने इस काम का श्रेय अपने विभाग के पूर्व अध्यक्ष स्व. डॉ. संजीव शर्मा(Dr Sanjeev Sharma) को दिया। हिमाचल प्रदेश के लिए और इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज के लिए यह गर्व की बात है कि डॉ. शिखा पहली ऐसी डाक्टर हैं जिन्होंने हाल ही में एम्स (AIMS) न्यू दिल्ली में इंटरवेंशन रेडियोलॉजी में शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने गैस्ट्रोइन्टैस्टाइनल रेडियोलॉजी(Gastrointestinal radiology) में फैलोशिप की है। यहां आईजीएमसी में पुन: कार्यभार संभालने के बाद डॉ. शिखा ने विभाग में हार्डवेयर की व्यवस्था करवाई और इस मरीज का उपचार करके उन्हें नई जिंदगी दी। यहां बता दें कि डॉ. शिखा इसके अलावा अन्य कई और तरीके के इंटरवेशनस कर रही है जो कि प्रदेश के उच्चतम शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पहली मर्तबा हो रही है। इससे अब मरीजों को पीजीआई या एम्स में नहीं भटकना पड़ेगा। डॉ. शिखा सूद ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर(Jairam Thakur) जिनके पास आजकल स्वास्थ्य विभाग भी है, एसीएस स्वास्थ्य आरडी धीमान, विशेष सचिव स्वास्थ्य डॉ. निपुण जिंदल(IAS Nipun Jindal) का भी आभार जताया, जिन्होंने उन्हें एम्स में पढ़ाई करने की अनुमति दी और आज यह पढ़ाई हिमाचल प्रदेश(Himachal Pardesh) के उन मरीजों के काम आई जिन्हें पीजीआई और एम्स में इसके लिए दौड़ना पड़ता था।
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