सुंदरनगर, 15 जुलाई : हिमाचल प्रदेश में बहुत से किले मौजूद हैं लेकिन प्रदेश के किले अपना वजूद खोते जा रहे हैं। ऐसा ही एक किला बल्ह घाटी (Balh Valley) के मुगलकालीन किला गोबिंदगढ़ (Mughal-era Fort “Gobindgarh”) के रूप में मौजूद है। किला गोबिंदगढ़ हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल सेे लगभग 6 हजाार फीट ऊंंची पहाडी पर स्थित है। किला गोबिंंदगढ़ लेदा केे समीप स्थित घरवासड़ा में मौजूद है। इस किले में वर्ष 1701 में श्री गुरू गोबिंंद सिंह महाराज (Shri Guru Gobind Singh) ने अपने मुबारिक चरण डालकर इसकी नींंव रखी थी। लेकिन वर्तमान में ये किला अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर पहुंच गया है।
जानकारी देते हुए ग्रंथि गुरुद्वारा गुरुकोठा साहिब के प्रमुख सरदार दलीप सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान पर जब मुगल बादशाह औरंगजेब का राज था, उस वक्त औरंगजेब ने 22 धार के पहाड़ी राज्यों से गुरु गोबिंद सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़कर उसके हवाले करने पर उन्हें माफी और उनकी रियासतों को हमेशा के लिए आजाद करने का वायदा किया। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने राजाओं के निमंत्रण पर मंडी आना स्वीकार कर लिया और 1701 की बैसाखी को 500 सिंह घुड़सवार व परिवार सहित गुरु गोबिंद सिंह रिवालसर साहिब पहुंचे।
उस दौरान रिवालसर साहिब में 1 महीना 2 दिन व मंडी में 6 महीने 18 दिन के प्रवास के बाद जब आनंदपुर साहिब वापिस जाने लगे तो मंडी के राजा सिद्ध सेन अपने परिवार सहित गुरु साहिब को विदा करने के लिए यहांं तक आया। उस समय मौके पर राजा सिद्ध सेन के नाम से सिद्ध कोट किला मौजूद था। राजा सिद्ध सेन ने गुरु गोबिंद सिंह से उनके नाम पर इस किले के साथ एक अन्य किले को बनाने के लिए विनती की गई। राजा ने अपने किले के साथ ही एक किला तैयार करवाया जिसकी नींव पत्थर गुरु गोबिंद सिंह के कर कमलों से रखा गया। इसका नाम गोबिंदगढ़ रखा गया। वर्तमान में भी किला गोबिंदगढ़ के साथ सिख समुदाय सहित हिंदू धर्म के लोगों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है और विशेष पर्वों पर अखंड पाठ का आयोजन भी किया जाता है।
सरकार और प्रसाशन से की मांग : सरदार दलीप सिंह ने कहा कि यह किला सरकार और प्रसाशन की अनदेखी का शिकार हुआ है किले की दीवारों के पत्थर लोग अपने घरो के निर्माण में इस्तेमाल कर रहे है यह एक शर्मनाक हरकत है। उन्होंने सरकार और प्रसाशन से मांग की है इस किले को पंख लगाने के लिए कुछ सोचा जाये ताकि अपनी आने वाली पीढ़ी को पुराने इतिहास के बारे में ज्ञान हो सके। उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र को विकसित किया जाये तो पर्यटन की दृष्टि से भी क्षेत्र विकसित हो सकता है।