शिमला : सूबे में मंत्रियों के तीन पद रिक्त हैं। लोकसभा चुनाव के बाद दो पद खाली हो गए थे। इसके बाद एक मंत्री के विधानसभा अध्यक्ष बनने से संख्या तीन हो गई है। बार-बार सीएम पर कमजोर होने की वजह से मंत्रिमंडल का विस्तार न करने के आरोप लगते रहे हैं। मगर इसी बीच एक रोचक तथ्य भी सामने आया है। इसके मुताबिक मंत्रियों के पद रिक्त होने से राजकीय कोष को कम से कम 50 से 75 लाख रुपए का फायदा हुआ है। ये केवल वही राशि है, जो मंत्रियों के वेतन के अलावा अतिरिक्त भत्तों पर खर्च होनी थी।
चंद रोज पहले भी सीएम जयराम ठाकुर ने स्पष्ट लहजे में कहा था कि मंत्रिमंडल के विस्तार में कोई जल्दबाजी नहीं है। 50 से 75 लाख के आंकडे़ की अधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है, अलबत्ता यह पुख्ता जानकारी है कि औसतन राजधानी से दूर के विधायकों पर एक साल में लगभग दो लाख रुपए अतिरिक्त खर्च होते हैं। इसी को आधार बनाकर यह माना जा रहा है कि मंत्रियों के तीन पद खाली होने से सरकार के राजकीय कोष को 50 से 75 लाख के बीच बचत हुई होगी। मंत्रियों के पद रिक्त होने का दारोमदार खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उठा रहे हैं।
अब तक राज्य में केवल उन्हीं लोगों के खेमों से मंत्री बनाने की बात उठती रही है, जो इन पदों के लिए फ्रंट लाइनर हैं। करीब 20 साल पीछे नजर दौड़ाई जाए तो शायद यह पहला ही मौका होगा, जब मंत्रियों के तीन पद लंबे अरसे के लिए रिक्त हुए हों। इसी बीच दिलचस्प बात यह भी है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी खाली है। इसे भी करीब-करीब एक महीना हो रहा है। मंत्रियों के पद रिक्त होने की वजह से कामकाज प्रभावित होने की भी बात अब तक सामने नहीं आई है।
कुल मिलाकर चाहे मंत्रियों के पद न भरने को लेकर सरकार की मंशा जो भी हो, इतना जरूर है कि राजकीय कोष को फायदा हो रहा है।