शिमला : दुनिया भर में कोरोना वायरस के निदान के लिए वैक्सीन की तलाश की जा रही है। पहाड़ी राज्य को गौरवान्वित करने वाली एक अहम जानकारी सामने आई है। फार्मा हब बद्दी की ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल ने कोविड-19 से पीड़ित मरीजों के लिए एंटी वायरल दवा फेविपिरविर (Favipiravir) को फेबिफ्लू (Fabiflu) ब्रांड से लान्च कर दिया है।
भारतीय औषधि महा नियंत्रक द्वारा दवा के उत्पादन व विपणन की अनुमति के बाद राज्य के ड्रग महकमे ने भी तुरंत ही लाइसेंस जारी कर दिया। शनिवार को ही कंपनी उत्पादन की स्थिति में थी। अहम बात यह है कि दवा 103 रुपए प्रति टेबलेट की दर से उपलब्ध होगी। हालांकि इंजेक्शन व अन्य माॅड में भी दवा उपलब्ध होने की उम्मीद है। फिलहाल देश में टेबलेट की फाॅम में दवा का उत्पादन बद्दी से शुरू हुआ है। एक अहम जानकारी यह भी है कि ग्लेन मार्क फार्मास्यूटिकल कंपनी यूएसए के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से भी प्रमाणित है।
कंपनी ने भी दावा किया था कि कोविड के उपचार के लिए पहली खाने वाली दवा फेविपिरविर है। 34 टेबलेट की स्ट्रिप 3500 रुपए की एमआरपी पर उपलब्ध होगी। एक टेबलेट की मात्रा 200 मिलिग्राम होगी। दीगर है कि शनिवार को कंपनी ने कहा था कि दवा अस्पतालों व खुदरा बाजार के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाएगी। बता दें कि कंपनी को उत्पादन की मंजूरी देने से पहले भारतीय औषधीय महानियंत्रक उन तमाम बातों की भी समीक्षा करता है, जिसमें क्लीनिकल ट्रायल सबसे अहम होते हैं।
उधर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में स्टेट ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने कहा कि जैसे ही डीजीसीआई द्वारा कंपनी को मंजूरी दी गई, इसके साथ-साथ ही लाईसेंसिंग अथाॅरिटी द्वारा लाईसेंस जारी कर दिया गया, ताकि तत्काल ही उत्पादन शुरू हो सके। उन्होंने माना कि प्रदेश के लिए यह एक बड़ी बात है कि कोविड की दवा देश में सबसे पहले हिमाचल में बननी शुरू हुई है। उल्लेखनीय है कि हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्वीन का भी बद्दी में बड़े स्तर पर उत्पादन होता है। एंटी मलेरिया की इस दवा से भी कोविड के उपचार के संकेत मिले थे।
यूएसए के राष्ट्रपति ने भारत से हाईड्रोऑक्सीकलोरोक्वीन के आयात से पाबंदी हटाने की मांग की थी। बहरहाल, एक खास बात यह भी है कि ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल एक भारतीय फार्मा कंपनी है, जिसकी नींव दो भाईयों ने रखी थी।