नाहन : 2005 में आईएएस बनने के बाद हंसमुख व सौम्य स्वभाव की मीरा मोहंती ने एक प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर सिरमौर में अपना शुरूआती सफर तय किया है। एसडीएम के तौर पर सेवाएं देने के दौरान शक्तिपीठ मां बाला सुंदरी में सुधारात्मक कदम उठाए। एसडीएम रहने के बाद प्रदेश में कई अन्य जगहों पर प्रशासनिक सेवाएं दी, बाद में सिरमौर में डीसी बनकर लौटी। 29 जनवरी 2011 से 30 अप्रैल 2012 तक ज़िलाधीश के पद पर तैनात रही। सोलन की डीसी रहने के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई।
सैंट्रल डैपुटेशन में कैबिनेट सचिवालय में उप सचिव के पद पर मई 2019 में एक साल की एक्सटेंशन भी मिली थी। अब प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक की जिम्मेदारी मिलने पर संस्थाएं व लोग उनके व्यवहार को याद कर रहे हैं, जो बतौर ज़िलाधीश रहने के दौरान उनके संपर्क में थे। हिमाचल कैडर की आईएएस अधिकारी मीरा मोहंती देश की सर्वोच्च प्रतियोगितात्मक परीक्षा यूपीएससी को 28 साल की उम्र में क्रैक करने में सफल हुई थी। मोहंती मूलतः ओडिशा की रहने वाली हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहले भी सिरमौर के पच्छाद के रहने वाले आईएएस अधिकारी डाॅ. राजेंद्र शांडिल्य को जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक की जिम्मेदारी मिली थी। बागपशोग पंचायत के लोहारड़ी गांव में एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले डाॅ. राजेंद्र शांडिल्य का चयन गुजरात कैडर में हुआ था। पीएम मोदी ने उनकी कार्यकुशलता को गुजरात में मुख्यमंत्री रहने के दौरान आंकी थी। 2004 बैच के आईएएस अधिकारी डाॅ. राजेंद्र शांडिल्य ने 40 साल की उम्र में ही प्रधानमंत्री कार्यालय में निदेशक की जिम्मेदारी को संभाल लिया था।
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जुलाई 2011 से मई 2016 तक वो गुजरात के सूरत में बतौर डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट तैनात रहे। जानकारी के मुताबिक पीएमओ में आईएएस अधिकारियों को निदेशक की जिम्मेदारी मिलती है। अधिकतर आईएएस अधिकारी पीएमओ में सेवाएं देने के इच्छुक रहते हैं। डाॅ. शांडिल को गुजरात में 2012 के विधानसभा चुनाव में कुशल प्रबंधन के लिए बेहतरीन डीएम का अवार्ड भी हासिल हुआ था। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री कार्यालय में हिमाचल का डबल कनेक्शन हो गया है।