नाहन : कुदरत भी गजब है। शायद, आप इस बात से परिचित नहीं होंगे कि जब एक मादा भालू गर्भवती होती है तो उस समय शिशु के जन्म से पहले कैसा व्यवहार रहता है। दरअसल, श्री रेणुका जी सफारी के बाड़े में मादा भालू बबली ने शिशु को जन्म दिया है। बाड़े में नन्हें कदमों की चहलकदमी से वन्यप्राणी विभाग का समूचा स्टाफ बेहद ही रोमांचित है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि बच्चे को जन्म देने से पहले ही बबली ने खुद को 9 मार्च से ही क्वारंटाइन कर लिया था। इस दौरान वो भूखी-प्यासी रही।
दीगर है कि विभाग द्वारा भालुओं के बाड़े में एक गुफा भी बनाई गई है, ताकि भालुओं को कुदरती वातावरण भी मिल सके। बबली को जब दो महीने 18 दिन बाद स्टाफ ने खाना देने के मकसद से बमुश्किल बाहर निकाला तो नन्हा भालू भी चहलकदमी करता साथ बाहर आया। इस कारण समूचे स्टाफ में खुशी की लहर पैदा हो गई। बबली ने क्वारंटाइन के दौरान नर शिशु को कब जन्म दिया, यह तो तय नहीं है, अलबत्ता यह जरूर है कि बच्चे का जन्म 9 मार्च से 25 मई के बीच ही हुआ होगा। देखने में नर भालू काफी हेल्दी है। यही वजह मानी जा रही है कि उसकी उम्र दो महीने की हो चुकी होगी। बाडे़ में करीब दो साल पहले नर भालू रामू की मौत हो गई थी। इसके बाद संख्या 3 ही थी। इसमें मादा भालू सचिन काफी आक्रामक रहता था। यही कारण था कि वन्यप्राणी विभाग ने अरसा पहले ही मादा भालुओं को अलग कर दिया था।
वैसे यह भी कहा जाता है कि नर भालू अपने नवजात बच्चे को खा जाता है, इस कारण अतिरिक्त सावधानी बरतनी भी जरूरी होती है। इस बात पर विभाग भी पूरी तरह से सावधानी बरत रहा है। साथ ही बबली भी प्राकृतिक तौर पर इससे वाकिफ है, लिहाजा वो भी सावधान है। दीगर है कि एक अरसा पहले श्री रेणुका जी लाॅयन सफारी के शेरों की दहाड़ दूर-दूर तक सुनाई देती थी, लेकिन सरकार के उदासीन रवैये की वजह से सफारी विरान हो चुकी है। अब नन्हें भालू के आने से कुछ रौनक लौटी है।
उधर वन्यप्राणी विभाग के वन परिक्षेत्र अधिकारी देवेंद्र सिंह का कहना है कि मादा ने खुद को 9 मार्च से ही गुफा में बंद कर लिया था। करीब डेढ़ महीने पहले उसे फ्रूट देने की कोशिश की गई, क्योंकि उसने कुछ नहीं खाया था। मगर वहां मौजूद दूसरी मादा ने उस फू्रट को झपट लिया था। वन परिक्षेत्र अधिकारी का यह भी कहना था कि ऐसा प्रतीत होता है कि नन्हें भालू की उम्र दो माह हो चुकी है। उन्होंने यह भी माना कि दो महीने 18 दिन तक बबली एक पल के लिए भी बाहर आने को राजी नहीं हुई। उसने खुद को भूखे-प्यासे रखकर ही गुफा में कैद किया हुआ था।