शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2007 में बुजुर्गों के कल्याण के लिए बनाए गए कानून को प्रदेश में लागू न किए जाने पर केंद्र और राज्य सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। न्यायालय ने संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया है कि इस बारे में क्या कदम उठाए जा रहे हैं। न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने अधिवक्ता अर्जुन लाल व श्रद्धा करोल के माध्यम से मानवाधिकारों के लिए कार्यरत संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर यह कदम उठाया।
याचिका में कहा गया है कि संसद में अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 बनाया था। इसमें बुजुर्गों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं हैं। लेकिन 13 वर्ष बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार ने इसे लागू नहीं किया। इससे बुजुर्गों को अनेक प्रकार के लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। यह भी कहा गया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बुजुर्गों की आवाजाही पर लगाए गए प्रतिबंधों के समय में उन्हें वर्ष 2007 के केंद्रीय कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अधिवक्ता अर्जुन लाल व श्रद्धा करोल ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2001 में अभिभावक एवं आश्रित भरण पोषण कानून बनाया था जो काफी पुराना हो चुका है। उससे बेहतर और कहीं ज्यादा व्यापक 2007 में बना केंद्रीय कानून है। इसलिए याचिकाकर्ता अजय श्रीवास्तव ने अदालत से प्रार्थना की है कि वर्ष 2001 के राज्य सरकार के कानून को रद्द करके उसके स्थान पर वर्ष 2007 के केंद्रीय कानून को तुरंत लागू किया जाए।