सोलन : कुनिहार से करीब 12 किलोमीटर दूर सायरी घाट के बशोल गांव में वर्षों पुराने सूखे पीपल के तल से शिला स्वरुप भगवन नरसिंह. माता जगतम्बा व दो अन्य छोटी- छोटी शिला रूपी विष्णु व हनुमान की प्रतिमाएं निकली है। प्रतिमाओं के प्रति ग्रामीणों की आस्था देखी जा रही है। इतना ही नहीं जिस स्थान पर शिलाएं निकली है, उस स्थान पर वर्षों से ग्रामीण भगवान नरसिंह के स्थान से पूजा अर्चना करते आये हैं। लेकिन देश में जारी लॉकडाउन के चलते स्थान पर कोई बड़ा अनुष्ठान नहीं किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सायरीघाट से महज तीन किलोमीटर दूर बशोल में पुरातन ठाकुर द्वारा मंदिर भी स्थापित है, इस मंदिर में भी कई वर्षों पुराने शिला स्वरुप दो हनुमान की मूर्तियां स्थापित है। ग्रामीणों की मान्यता है कि यह शिला स्वरुप हनुमान की मूर्तियां भी इसी स्थान से खुदाई के दौरान सामने आई थी। कुछ महीने पहले मंदिर में पूजा अर्चना एवं प्रशाद हेतू सूखी लकडियों की आवश्यकता थी। जिसके लिए मंदिर के समीप ही वर्षों पुराने सुख चुके पीपल के पेड को गिराने लगे तो पेड के तल के अंदर खोल में एक बडी पत्थर की शिला सामने निकल आई। कुछ माह पूर्व भी गांव में आये देव गुर ने भी शिला स्वरुप को भगवान नरसिंह जी का स्वरुप बताया है। तत्पश्चात पत्थर के आसपास की झाडियों आदि की सफाई की गई, शिला स्वरुप भगवान नरसिंह माता भगवती भगवान विष्णु व हनुमान की शिलाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
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पंडित कृष्ण लाल अर्चुत ने बताया कि वर्षों पुराना पीपल का वृक्ष सूख चूका था, हवन यग्य प्रशाद हेतू लकडियों के लिए सूखे पीपल को गिराने लगे तो तल से एक बड़ी शिला स्वरुप भगवान नरसिंह जी का प्राकट्य हुआ। थोड़ी गहरी खुदाई के बाद दो अन्य हनुमान व विष्णु के स्वरुप की शिलाएं भी निकली है। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर यह शिलाएं निकली है, उस स्थान पर ग्रामीण वर्षों से भगवान नरसिंह के स्थान से पूजा अर्चना करते चले आ रहे है। प्राचीन ठाकुर द्वारा मंदिर में स्थापित हनुमान की प्रतिमाएं भी इसी स्थान में कई वर्षों पहले खुदाई के दौरान निकली थी। उन्होंने बताया कि हालांकि मूर्तियां कुछ समय पहले मिली थी। मगर अब सूक्ष्म तरीके से इनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है। लॉकडाउन की वजह से विशेष आयोजन नहीं किया गया।