शिमला : महज 48 सैकंड के ऑडियो ने चंद रोज से भूचाल मचा रखा है। ऑडियो के एक तरफ निलंबित स्वास्थ्य निदेशक डाॅ. अजय कुमार के होने की तस्दीक हो चुकी है। मगर दूसरी तरफ कौन है, इस पर कई तरह के संशय हैं। हालांकि जांच के इस चरण में कोई भी अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं कर रहा, लेकिन आशंका जाहिर की जा रही है कि दूसरी तरफ ऐसा शख्स है, जो सालों से मेडिकल उपकरण व दवाएं इत्यादि की सप्लाई से जुड़ा हुआ है। मूलतः सिरमौर के रहने वाले निलंबित स्वास्थ्य निदेशक की इस पद पर अक्तूबर 2018 में तैनाती हुई थी। करीब डेढ़ साल से इस पद पर तैनात थे।
कोविड-19 के मद्देनजर निदेशालय से लेकर निचले स्तर तक जमकर उपकरणों के अलावा मास्क, सेनिटाइजर, पीपीई किट व दवाओं इत्यादि की खरीद हो रही है। दीगर है कि ऑडियो के सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने बगैर समय गंवाए ही मामले को स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो के हवाले कर दिया। अपुष्ट खबर तो यह भी है कि विजिलेंस द्वारा दूसरी तरफ बात करन वाले शख्स की भी पहचान कर ली गई है। वीरवार शाम सरकार ने भी संयुक्त निदेशक को अतिरिक्त कार्यभार सौंपने में देरी नहीं की।
बताया जा रहा है कि विजिलेंस की टीम ने निलंबित निदेशक के ठिकानों पर दबिश देने का सिलसिला भी बीते दिन ही शुरू कर दिया था। कुल मिलाकर राज्य सरकार को इस मामले में बैकफुट पर आना पड़ा है। कोरोना संकट में एक निदेशक की गिरफ्तारी अपने आप में ही मायने रखती है। साथ ही अगर मीडिया रिपोर्टस की भी मानें तो भाजपा के ही एक नेता इस बात की जुगत में लगे थे कि डाॅ. अजय कुमार गुप्ता को सेवा विस्तार दिया जाए।