संगडाह : जिला में अब किसान खेती से अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर रहे हैं। इसी कड़ी में उपमंडल मुख्यालय के साथ लगते अपने खेत में राजेश ने केसर की खेती में कामयाबी हासिल की है। हाल ही में लाखों में बिकने वाली इस केसर की पहली खेप तैयार होने से वह काफी उत्साहित है। राजेश को इस बार एक किलो के करीब केसर उत्पादन की उम्मीद है। पहले तुड़ान में निकाली उक्त फूलों की पंखुडिय़ों को सुखाया जा चुका है, जबकि अभी फूल आना जारी है।
राजेश ने बताया कि, गत सितम्बर माह में उन्होंने 9 हजार रूपए में सौ ग्राम अमरीकन केसर बीज लेकर उक्त फसल लगाई थी तथा इसके अलावा नवम्बर में देरी से कुछ कश्मीरी केसर भी लगाया था। अमरीकी केसर की अच्छी पैदावार हुई है, जबकि कश्मीरी केसर की बिजाई में देरी के कारण अभी तैयार नहीं हो सकी है। प्रगतिशील किसान के अनुसार केसर की खेती में क्षेत्र की प्रमुख नकदी फसल अदरक, टमाटर व लहसुन से भी कम मेहनत की जरूरत है तथा कम भूमि पर अधिक उत्पादन की गारंटी है।
संगड़ाह-टिकरी मार्ग पर मात्र आधा बीघा जमीन से उन्हें इस बार बीज को लगाकर दो लाख तक आमदनी की उम्मीद है। लंबे समय तक स्टोर की जा सकने वाली इस फसल का वजन कम होने से इसकी मार्किटिंग आसान है। केसर की कीमत गुणवत्ता के हिसाब से डेढ़ से तीन लाख तक बताई जा रही है। महाविद्यालय संगडाह से बी.ए. की पढ़ाई करने के बाद उक्त युवक ने खुद को बेरोजगार कहने की बजाय पुरखों की तरह खेती को अपना व्यवसाय बनाया। उनके पास कुछ सेब के पौधे भी है। राजेश की इस कोशिश से क्षेत्र के अन्य बेरोजगार युवा भी उत्साहित हैं तथा उनसे केसर की खेती को लेकर संपर्क कर चुके हैं।