ऊना : “आसमान से गिरे खजूर पर अटके” वाली कहावत दुल्हन को लेने कोलकाता से वापिस कुटलैहड़ पहुंची बारात के लोगों पर चरितार्थ हो रही है। अपने गांव की कुछ दूरी पर बने क्वारंटाइन सैंटर में उक्त 18 बाराती प्रशासन द्वारा ठहराए गए हैं, जिसमें दुल्हा व दुल्हन भी शामिल है। 21 मार्च को ये बाराती उपमंडल बंगाणा के गांव परोईयां से दुल्हन को लाने के लिए कोलकाता पहुंचे थे।
देश में कोरोना के संकट के चलते दूसरे ही दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा कर दी। 23 मार्च को देश में पहला लॉकडाउन भी घोषित हो गया। एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा लॉकडाउन होने के कारण ये लोग कोलकाता में ही फंस गए। दुल्हे के परिवार वालों का कहना है कि 25 मार्च को घर वापिसी की रेल टिकटें बुक थीं, लेकिन लॉकडाउन के कारण सब योजनाएं फेल हो गई। घर वापिसी के लिए प्रदेश सरकार से संपर्क किया गया। तब जाकर जिलाधीश ऊना व सोलन के प्रयासों से अब बस के माध्यम से अपने गांव की सीमा तक ही पहुंच सके हैं। इसके लिए कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर के प्रयास भी कम नहीं रहे, क्योंकि वीरेंद्र कंवर ने ऊना में रहते हुए कोलकाता में रहते हुए राशन उपलब्ध करवाया।
बारात में गए रिश्तेदारों का कहना है कि ये शादी ताउम्र नहीं भूल पाएंगे, क्योंकि विकट परिस्थितियों में दिन गुजारे गए हैं। उन्होंने प्रदेश सकरार का भी आभार जताया है, क्योंकि इनके खाने और पीने की व्यवस्था वहीं कर दी गई थी। जिससे इन लोगों को कुछ राहत तो अवश्य मिली। बारातियों का कहना है कि एक बार फिर पुराने जमाने की याद आ गई। जब बारातें कई-कई दिन लड़की पक्ष के घरों में रूकती थीं। इन लोगों को ये शादी भूलने वाली नहीं है। पुराने जमाने में लंबे समय तक बारात रूकती थी, लेकिन इस शादी में वहीं पुराना जमाना याद आ गया।