नाहन: पंजाब विश्वविद्यालय में रसायन विभाग की सहायक प्रोफैसर डॉ. गुरमीत कौर अपनी काबलियत का डंका बजा रही है। सिरमौर के राजगढ़ की पुत्रवधू डॉ. कौर की उपलब्धियों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि शब्द भी कम पड़ सकते हैं। बहरहाल, ताजा मामले में इस कारण चर्चा में है, क्योंकि उन्हें कीटाणुनाशक डिटर्जेंट प्रोडक्ट रिसर्च के लिए पेटेंट हासिल हुआ है। पंजाब विश्वविद्यालय में ही बीएससी से पीएचडी तक की पढ़ाई करने वाली डॉ. कौर का विवाह राजगढ़ के सौरभ सूद से हुआ है, जो खुद भी संगीत के प्रोफैसर हैं।
दीगर है कि पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. जगत सिंह भी राजगढ़ के निकटवर्ती गांव के रहने वाले हैं। बहरहाल, डॉ. कौर कहती हैं कि डिटर्जेंट साधारण नहीं है, बल्कि वायरस के कीटाणुओं को खत्म करने में मदद करेगा। उल्लेखनीय है, इस रिसर्च में उनकी टीम में चार अन्य सदस्य भी शामिल हैं। लाजमी तौर पर आपके मन में यह भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह डिटर्जेंट है क्या। दरअसल, इस डिटर्जेंट का इस्तेमाल दरवाजे, फर्श, मोबाइल, एसी इत्यादि को किटाणु रहित करने में होगा। इस प्रोडक्ट में कीटाणुओं को मारने के लिए फोटोडायनमिक थैरेपी का इस्तेमाल होगा। यह एक ऐसी तरह की थैरेपी है, जिसमें लाइट की उपलब्धता में किटाणुओं को मारा जाता है। इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में भी होता है। कोरोना वायरस के चलते इसका उपयोग पानी में डालने के बाद किया जा सकता है।
डॉ. कौर का यह भी कहना है कि प्रोडक्ट का इस्तेमाल पंजाब विश्वविद्यालय के तमाम विभागों में शुरू होगा। इसके लिए कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। उनका यह भी तर्क है कि अगर कोरोना वायरस खत्म भी हो जाता है तो भी कीटाणुनाशक डिटर्जेंट का इस्तेमाल अस्पतालों में लाभदायक सिद्ध होगा। अब तक डॉ. कौर के 50 पब्लिकेशन हो चुके हैं, इसमें समीक्षात्मक लेख भी शामिल हैं। 5 पुस्तकें व 3 भारतीय पेटेंटस भी शामिल हैं। एक पेटेंट हासिल हो चुका है, जबकि दो के लिए अप्लाई किया हुआ है। वो 9 साल से रोगाणुरोधी सर्फेक्टेंट के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।
उधर राजगढ़ नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष दिनेश आर्या का कहना है कि यह ख़ुशी की बात है कि छोटे से कस्बे की बहू चंडीगढ़ में अपनी काबलियत का लोहा मनवा रही है। इस पर समूचा इलाका गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनका यह भी कहना है कि दुनिया इस वक्त दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें कैंसर का इलाज शामिल हैं, जबकि दूसरा एंटी बायोटिक दवाओं के खिलाफ बैक्टिरिया का प्रतिरोध बढ़ना है। उनका यह भी कहना है कि इन मुद्दों से लड़ने के लिए नई दवाओं की आवश्यकता है, जिस पर बहुत अधिक लागत व समय खर्च होगा। डॉ. कौर ने कहा कि मौजूद दवाओं में ही नए फॉर्मूलेशन हो सकते हैं। लिहाजा, दुनिया भर के शोधकर्ता ऐसी सामग्री बनाने का सपना देखते हैं।