मंडी: जिला के लांगणा गांव के लिए आखिर कब एंबुलेंस रोड़ निकलेगा और कब युवाओं के पीठ का बोझा उतरेगा। इसका जवाब न तो राजनेता दे पा रहे हैं और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि। प्रशासन तो बस फाइलों में उलझा पड़ा है। जबकि यहां एंबुलेंस रोड़ के अभाव में दो लोगों की मौत हो चुकी है।
वैसे तो जोगिंद्रनगर इलाके में सड़कों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन लांगणा गांव की दलित बस्ती आज भी एंबुलेंस रोड़ की राह ताक रही है। सड़क गांव तक पहुंचाने का मामला कई बार गूंजा। लेकिन सड़क कागजों में ही निकलती रही। राजनेताओं ने भी घोषणाएं की, बजट देने की बात कही, लेकिन धरातल पर अभी तक कुछ नहीं हो पाया। ताजा मामले की बात करें तो लांगणा गांव में छत्त से गिरकर गंभीर रूप से चोटिल हुए एक व्यक्ति को सड़क तक पहुंचाने के लिए युवाओं को चारपाई का सहारा लेना पड़ा। लॉकडाउन में घर आए युवाओं ने व्यक्ति को समय रहते सड़क तक पहुंचाकर एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाकर जान बचा ली। अगर लॉकडाउन न लगा होता तो चारपाई उठाने वाला भी कोई न मिलता।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गांव के लिए एंबुलेंस रोड़ बेहद जरूरी है। इसके लिए पीडब्लयूडी महकमे ने सर्वे भी किए, लेकिन एक व्यक्ति की आपत्ति ने सब रोक रखा है। हालांकि ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन सरकारी होने के बावजूद सड़क गांव तक पहुंचने से रूकी पड़ी है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कई बार हमें बताया जाता है कि जल्द सड़क निकाली जाएगी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है। ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि लांगणा गांव के लिए एंबुलेंस रोड़ निकाला जाए।
वहीं, नायब तहसीलदार मकरीड़ी पूर्ण चंद से जब दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीते दिनों उनसे गांव का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था। उनकी मांग को उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया गया है। वहीं, लोक निर्माण विभाग के एसडीओ राहुल कुमार का कहना है कि विभागीय टीम सड़क के सर्वे के लिए गई थी, लेकिन एक व्यक्ति ने अपनी जमीन का हवाला देते हुए आपत्ति जाहिर की थी।
लांगणावासी एंबुलेंस रोड़ के लिए बैठकें कर रहे हैं। राजनेताओं के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ न होने पर ग्रामीण मायूस हैं और सरकार से ही अब उम्मीद लगाए बैठें हैं।