नाहन : समूचे देश ने मेडिकल स्टाफ को पलकों पर बिठा रखा है, क्योंकि वो कोरोना के खिलाफ फ्रंटलाइन योद्धा हैं। इसके विपरीत डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि आज सुबह से यूआरसी सैंटर (फ्लू क्लीनिक) में तीन में से एक भी चिकित्सक मौजूद नहीं था।
बात, जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क तक पहुंची तो एक बजे के आसपास कम्युनिटी मेडिसन के विशेषज्ञ को यूआरसी सैंटर में डयूटी के लिए भेजा गया। इसी बीच यह भी जानकारी मिली है कि दो-तीन लोग क्लीनिक में इसलिए पहुंचे थे, क्योंकि वो विकास नगर से आए थे। जानकारी यह भी है कि आयुर्वैदिक अस्पताल के भवन में संचालित किए जा रहे सैंटर में मेडिसन विभाग से एक चिकित्सक होना चाहिए था। इसके अलावा फ्लू क्लीनिक में अलग व्यवस्था है। साथ ही एक की तैनाती सैंपलिंग के मकसद से होती है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने कॉलेज प्रशासन से संपर्क साधा तो तमाम अधिकारी अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते रहे।
प्रशासनिक अधिकारी व डिप्टी एमएस डॉ. एसएस बावा का कहना था कि उनके स्तर पर केवल कैजुएलिटी का रोस्टर तय होता है। यूआरसी सैंटर के समन्वयक डॉ. कौशिक ही कोई टिप्पणी कर सकते हैं। जब डॉ. कौशिक से बात की गई तो उनका कहना था कि कुछ दिन पहले समन्वयक के पद पर डॉ. कक्कड़ के आदेश हो चुके हैं। अलबत्ता इतना जरूर कहा कि डयूटी पर डॉ. कमलजीत तैनात हो गए हैं। उधर डॉ. एसएस बावा का यह भी कहना था कि जब उन्हें 9ः30 बजे सूचना मिली थी तो तुरंत ही सैंटर के समन्वयक को सूचित कर दिया गया था।
अब सवाल यह उठता है कि क्या डयूटी रोस्टर में खामी थी या फिर जिन्हें डयूटी पर तैनात किया गया था, वो नहीं पहुंचे। उल्लेखनीय है कि चंद रोज पहले ही आइसोलेशन वार्ड की गंदगी से जुड़ा वीडियो भी सामने आया था। दीगर है कि डॉ. बावा का यह भी कहना था कि फ्लू ओपीडी में सैंपलिंग के लिए चिकित्सक को ऑन कॉल बुलाया जाता है।