शिमला: राजधानी के आइजीएमसी अस्पताल में सरकाघाट के 21 वर्षीय युवक की कोरोना वायरस की वजह से मौत हुई थी, उसका अंतिम संस्कार आधी रात को यहां के कनलोग श्मशान घाट में कर दिया गया है। प्रशासन ने ही शव का अंतिम संस्कार किया। शिमला (शहरी) एसडीएम नीरज चाँदला और आइजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज इस दौरान मौजूद रहे। संस्कार की क्रिया पूरी करने के लिए पंडित बुलाया गया था। पंडित ने करीब 10 फुट की दूरी से मंत्रोच्चारण किया। शव को प्रशासन की ही टीम ने शव को मुखाग्नि दी। मृतक का कोई भी परिजन इस दौरान उपस्थित नहीं रहा, क्योंकि सरकाघाट से कोरोना मरीज को लेकर आईजीएमसी आये उसके परिजनों को स्वास्थ्य विभाग ने क्वारन्टीन कर दिया गया है।
अहम बात यह रही कि नगर निगम प्रशासन ने शव के अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया से किनारा कर लिया। एसडीएम (शहरी) के निर्देश के बावजूद नगर निगम ने श्मशान घाट में अपने कर्मचारी भेजने से साफ इंकार कर दिया। ऐसे में महिला एचएएस अधिकारी व एसडीएम शिमला (शहरी) नीरज चाँदला संस्कार पूरा होने तक श्मशान घाट में रहीं। रात करीब सवा 11 बजे एम्बुलेंस में शव को पूरी एहतियात के साथ श्मशान घाट लाया गया।
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जानकारी के अनुसार आइजीएमसी प्रबंधन व प्रशासन की टीम जब संक्रमित मरीज के पार्थिव शरीर की अंत्येष्टि करने के लिए श्मशान घाट पहुंची तो समस्या यह आ गई कि शव को मुखाग्नि कौन देगा। असल में मृतक के परिजनों को पहले ही क्वारन्टीन में डाल दिया गया था। वहीं प्रशासन की तरफ से बुलाए गए पंडित तथा श्मशान घाट के चौकीदार को सुरक्षा किट मुहैया नहीं करवाई गए थे। ऐसे में वहां मौजूद प्रशासन की टीम द्वारा संक्रमित युवक के शव को मुखाग्नि दी गई। एसडीएम शहरी नीरज चाँदला ने बताया कि बीती देर रात शव का कनलोग श्मशान घाट में रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। प्रोटोकॉल के तहत नगर निगम को दो कर्मचारी भेजने के आदेश दिए गए थे। लेकिन उन्होंने कर्मचारी नहीं भेजे। इसकी सरकार से शिकायत की जाएगी।