पावंटा साहिब : विश्वमहामारी कोरोना के साथ किसानों को मौसम की मार का सामना भी करना पड़ रहा है। फसल की कटाई के लिये मजदूर न मिलने के बाद बारिश और ओलावृष्टि ने गेंहू की फसल तबाह कर दी है, अब एफसीआई के मापदंड किसानों की कमर बुरी तरह तोड रहे हैं। मज़दूरों की कमी के बाद मौसम की मार से घाटी के किसानों की फसल खेतों मे ही भीग गई, जिससे दाने मे कालापन आ गया। अब किसानों की फसल एफसीआई के मापदंडों के अनुसार खरीद केंद्र में नहीं खरीदी जा रही हैं। एफसीआई के मापदंडों के अनुसार वे काला दाना व ज्यादा नमी वाली फसल नहीं खरीदती है।
स्थानीय किसान शशिपाल चौधरी का कहना है कि पहले तो काले दाने वाली गेंहू हरियाणा की अनाज मंडी मे बिक जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते बाहरी राज्यो मे फसल ले जाने की मनाही है। इसके अलावा किसान धान की फसल के लिये हरियाणा की मंडियों के आढ़तियों से धान के लिये एडवांस लेते हैं, अब जब गेंहू उन आढ़तियों को नहीं बेचेंगे तो अगली धान की फसल भी हरियाणा में नहीं ली जायेगी। लिहाज़ा, एफसीआई मंदी की मार झेल रहे किसान की गेंहू लेने की व्यवस्था करे, साथ ही धान की फसल का भी खरीद केंद्र स्थापित करे।
हिमाचल किसान सभा सिरमौर के सचिव गुरविंद्र सिंह का कहना है कि कि इसमे किसान का क्या कसूर है। किसानों ने तो पूरी मेहनत की थी, अब जब मौसम की मार पड़ गई तो भुगतना किसानों को पड़ रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है किसानों की इस गंभीर समस्या का जल्द समाधान करें। वहीं एफसीआई के मेनेजर राजेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि उन्हे तो मापदंड के आदेश मानने पडेंगे। नमी को लेकर उनका कहना है कि किसान फसल लाने मे जल्दबाजी न करें। एफसीआई आगामी 2-3 महीनों तक किसानों की सारी फसल खरीदेगी तब तक केंद्र खुला रहेगा। इसलिए फसल को सुखा कर ही बेचने लाएं।
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