मंडी : लॉक डाउन की इस स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें समाज के हर वर्ग तक राहत पहुंचाने का दावा कर रही हैं। लेकिन आज हम आपको सरकार के लिए सेवाएं दे चुके ऐसे वर्ग के बारे में बताएंगे जो सरकार से मिलने वाले अपने हक के लिए तरस रहे हैं। सदर उपमंडल के सैणीमोहरी गांव निवासी 59 वर्षीय जोगिंद्र गुलेरिया 20 साल 6 महीने तक सरकारी सेवाएं देने के बाद बीती 31 दिसंबर 2019 को चालक के पद से रिटायर हुए। आज रिटायर हुए 5 महीनों का समय बीत गया है लेकिन सरकार और निगम ने न तो इन्हें इनके लाभ दिए और न ही पेंशन। जोगिंद्र गुलेरिया को सरकार से 15 से 16 लाख रूपए लेने को हैं।
जोगिंद्र गुलेरिया बताते हैं कि यह लाभ भले की सरकार बाद में दे, लेकिन लॉक डाउन की इस स्थिति में पेंशन तो शुरू कर दे, जिसके दम पर इनके घर का चूल्हा जलना है। इन्होंने सरकार से जल्द से जल्द वित्तिय लाभ जारी करने की मांग उठाई है। जोगिंद्र गुलेरिया चालक परिचालक संगठन के चेयरमैन भी रह चुके हैं। जोगिंद्र गुलेरिया बताते हैं कि निगम में अगस्त 2019 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों के सभी प्रकार को वित्तिय लाभ अभी तक लंबित पड़े हैं। ऐसे पेंशनरों की संख्या पूरे प्रदेश में 700 से 800 है। न तो इन्हें जीपीएफ का पैसा मिल पाया है और न ही पेंशन शुरू हो पाई है। अन्य वित्तिय लाभ अलग से लंबित पड़े हैं।
इनका कहना है कि लॉक डाउन की इस स्थिति में यह किसी अधिकारी के पास जाकर भी गुहार नहीं लगा सकते, ऐसे में मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जब सरकार लॉक डाउन की स्थिति में हर उस व्यक्ति तक मदद पहुंचाने का दम भर रही है तो फिर सरकार के लिए वर्षों तक सेवाएं देने चुके कर्मचारियों को क्यों दरकिनार किया जा रहा है। हालांकि सरकार ने अभी निगम को वेतन और पेंशन के लिए राशि जारी करने की बात तो कही है लेकिन उसमें इन पेंशनरों को भी शामिल किया जाएगा या नहीं, यह देखना होगा।