नाहन : कहते हैं साहित्यकार, कलाकार व चित्रकार समाज का आईना होते हैं जो समय-समय पर अपनी रचनाओं व कलाकृतियों से समाज को आईना दिखाते हैं। ऐसे ही एक साहित्यकार पांवटा साहिब निवासी वेद प्रकाश ने अपने ब्रश व रंगों के माध्यम से क्रोधित प्रकृति के भाव उकेरे है, जिसमे वो पेंटिंग से अति सुंदर व साफ संदेश दे रहे हैं। कोरोना महामारी के संकट के दौरान यह चित्रकार समाज को आईना दिखा रहे हैं, ताकि लोग संभल जाएं और कम से कम नुक्सान हो।
वेद प्रकाश ने बताया कि वह समय-समय पर इस प्रकार से जागरूक करने वाली पेंटिंग बनाते हैं। इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, उन्होंने अपनी इस पेंटिंग में देश में कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग को सख्ती से लागू करने का संदेश दिया है और यही संदेश हमारी प्रकृति भी हमें देती आई है। लेकिन आज प्रकृति से मानव द्वारा छेड़छाड़ बढ़ती जा रही है। जिसमें जीव जंतुओं की निर्मम हत्या सामने आ रही है, वहीं पेड़ों की कटाई के साथ-साथ प्रकृति का दोहन भी कम नहीं है। मानव द्वारा कूड़े-कचरे व कैमिकल द्वारा नदियों के साथ-साथ वायु को भी दूषित व जहरीला कर दिया गया है।
उनका कहना है की जब मनुष्य घरों में बंद है तो वहीं प्रकृति सबका शुद्धिकरण कर रही है और खुद को तरो ताजा कर रही हैं। इससे मनुष्य को सबक लेने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस प्रकार की बीमारियों का सामना न करना पड़े और प्रकृति से छेड़छाड़ बंद हो। उन्होंने कहा कि प्रकृति मनुष्य को सब कुछ नि:शुल्क प्रदान करती है, बावजूद इसके मनुष्य प्रकृति का धन्यवाद करने की बजाय उसे नष्ट करने पर तुला है। यदि यही हाल रहा तो भविष्य में क्रोधित प्रकृति के विनाश को भी देखेगा। ऐसे में मनुष्य को इससे सबक लेने की जरूरत है।