नाहन : अब तक आप देश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें पढ़ते आए हैं कि कोरोना के कर्मवीर कैसे ड्यूटी निभा रहे हैं। ऐसा ही उदाहरण हिमाचल के नाहन में भी देखने को मिला है, जहां एक पुलिसकर्मी की दुख भरी दास्तां सामने आई है। जिसे आप जानकर यह मानने पर विवश हो जाएंगे कि आपका जीवन बचाने के लिए कैसे कर्मवीर परिवारों को छोड़कर ड्यूटी निभा रहे हैं। शहर के चौगान मैदान के समीप ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल अर्जुन ने ड्यूटी के प्रति अपने समर्पण की मिसाल पेश की है। कांस्टेबल अर्जुन की गर्भवती पत्नी सुमन करीब 120 किलोमीटर दूर शिलाई में प्रसव पीड़ा से कराह रही थी, लेकिन कोरोना का कर्मवीर ड्यूटी छोड़कर नहीं जा सकता था। कांस्टेबल की पत्नी को शिलाई से नाहन रैफर कर दिया गया। दुखों का पहाड़ उस समय टूट गया जब मासूम ने मां की कोख में जन्म लेने से पहले ही दम तोड़ दिया। अब आप सोच रहे होंगे कि क्यों कांस्टेबल अर्जुन ना तो नवजात के अंतिम संस्कार में हिस्सा ले सकता था और ना ही पत्नी को गले मिलकर दिलासा दे सकता था।
चंद रोज पहले सिरमौर में कोरोना पॉजीटिव पाए गए एक जमाती को बद्दी छोड़ना था। अर्जुन भी उस टीम में शामिल थे जो रोगी को लेकर बद्दी गई थी। लिहाजा कुछ समय तक परिवार से दूरी बनाने की हिदायत मिली हुई है। शिलाई में पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात उनकी पत्नी सुमन 8 माह की गर्भवती थी, करीब 2 महीने से कोरोना के खिलाफ ड्यूटी कर रहे कांस्टेबल अर्जुन चाह कर भी अपनी गर्भवती पत्नी के पास नहीं जा पा रहे थे। वीरवार को आपातकालीन स्थिति में उनकी पत्नी को शिलाई से नाहन रैफर कर दिया गया, लेकिन परिवार के पांव तले उस समय जमीन खिसक गई जब पता चला कि बच्चे की धड़कन नहीं चल रही। इसके बाद नॉर्मल डिलीवरी से मृत नवजात को निकाल लिया गया। विडंबना देखिए, कांस्टेबल अर्जुन अपनी पत्नी को इस दुख की घड़ी में गले मिलकर भी दिलासा नहीं दे पाए। इसकी वजह यह थी कि वह कोरोना पॉजीटिव पाए गए एक जमाती को बद्दी तक छोडऩे के लिए पुलिस टीम में शामिल थे।
प्रोटोकॉल भी यही कहता है कि अगर पॉजीटिव के आसपास मौजूद रहे हैं तो उस स्थिति में परिवार से दूरी बनानी होगी। सावधानी से कांस्टेबल अर्जुन ने अपने मृत नवजात बच्चे को कोलर तो पहुंचा दिया, लेकिन अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लिया। गांव के लोगों ने ही नवजात का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद वापिस नाहन लौट आए। हालांकि विभाग ने इस दुख की घड़ी में कांस्टेबल अर्जुन की छुट्टी स्वीकृत कर दी है, मगर वह गांव में जाने के बाद भी आइसोलेट ही रहेंगे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में अर्जुन ने रूंधे गले से बताया कि गुरुवार को पत्नी का प्रसव हुआ। 8 महीने के बेटे की गर्भ में ही मौत हो गई। क्योंकि वह कोरोना पॉजीटिव मरीज को बद्दी छोडऩे गए थे, लिहाजा पत्नी सहित परिवार के किसी भी सदस्य को सीधे नहीं मिले और दूरी बनाए रखी। अब पत्नी की देखभाल भी चुनौती है जो इस समय मेडिकल कॉलेज में दाखिल है। गर्भ में आठ माह के बच्चे की मौत के बाद माँ को भी उपचार की आवश्यकता होती है, जो रिस्की भी होता है।
कुल मिलाकर आज कांस्टेबल अर्जुन के इस दुख की घड़ी में प्रदेश के हर एक व्यक्ति को खड़ा होना चाहिए। गौर हो कि शहर के चौगान मैदान के समीप पुलिस गुमटी में तैनात रहने वाली ट्रैफिक पुलिस की टोली पहले भी कई मर्तबा चर्चा में आ चुकी है। लॉक डाउन होने के बाद एक शख्स प्रदेश की राजधानी से नाहन तक पैदल ही पहुंच गया था। पैदल नाहन पहुंचने वाले शख्स की एक टांग नहीं थी, जिसे देख कर उक्त टीम ने शख्स की न केवल इमदाद की बल्कि शिलाई तक उसके घर पहुंचाने की व्यवस्था भी की। पुलिस कर्मियों की इस तरीके की मिसाल राष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बनी थी। इसके अलावा एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने करीब 1 साल पहले ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए करीब 20,000 की राशि लौटाई थी।