हमीरपुर : राष्ट्रवाद की कई मिसालें देखी व सुनी होंगी। मगर देशहित में 28 साल की युवती शैलजा चंदेल की सोच को सुनकर आप हिल जाएंगे। विश्व भर के करीब 190 देशों में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर कोई भयभीत है। लेकिन दो बार नेट की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी शैलजा खुद को कोरोना से संक्रमित करने के लिए तैयार है, ताकि उसके शरीर पर कोरोना की वैक्सीन तैयार करने को लेकर शोध हो सके।
वायरल हो रहे एक मैसेज की पड़ताल करते-करते एमबीएम न्यूज नेटवर्क झनियारा गांव की रहने वाली शैलजा तक पहुंच गया। फोन पर बातचीत में शैलजा ने जो कुछ कहा, वो वाकई में स्तब्ध कर देने वाला था। बचपन में अपने माता-पिता को खो चुकी शैलजा चंदेल चाहती हैं कि देश में किसी का भी जीवन कोरोना वायरस की वजह से न जाए। बताती हैं कि खुद ही फेसबुक पर पोस्ट लिखी थी। गुगल पर सर्च करने के बाद पूरे होश में फैसला लिया है। फिलहाल वैज्ञानिक पहलू उपलब्ध नहीं हुआ है, लेकिन इतना जरूर है कि वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन को तैयार करने के लिए इसके प्रैक्टिकल की आवश्यकता होती है। लिहाजा, मानव शरीर का इस्तेमाल होता है। स्वस्थ व्यक्ति पर ही प्रयोग होता है।
दीगर है कि यूएसए में भी एक महिला ने ही कोरोना वैक्सीन के प्रयोग के लिए खुद को आगे किया है। उसके बाद दवा निर्माण की तमाम संभावना पर रिसर्च की जाती है। हिमाचली बेटी शैलजा यह भी बखूबी जानती है कि प्रयोग सफल न होने की सूरत में जान का खतरा भी हो सकता है। परिवार की सहमति को लेकर शैलजा ने बेहद ही भावुक तरीके से बताया कि एक छोटा भाई व छोटी बहन है, जिन्हें कोई आपत्ति नहीं है। बहरहाल हिमाचली बेटी ने ऐसा जज्बा पेश कर साबित कर दिया है कि देशभक्ति सरहद पर ही नहीं, बल्कि देश के भीतर भी हो सकती है। देशभक्ति के साथ-साथ शैलजा ने मानवीय सरोकार में एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए प्रेरणा है।