शिमला: कोरोना वायरस के खौफ में बद्दी व कालाअंब में सेनेटाइजर उत्पादकों की संख्या बढ़ गई है। जानकारी के मुताबिक बद्दी में पिछले चंद रोज में ही 30 से 35 उद्योगों को सेनेटाइजर उत्पादन के लाईसेंस जारी किए गए हैं, जबकि कालाअंब में यह आंकड़ा 10 से 15 का है। आशंका जाहिर की जा रही थी कि चांदी कूटने की फिराक में उद्योग में उद्योग धड़ाधड़ लाईसेंस लेने की फिराक में हैं। लिहाजा, ड्रग महकमे ने भी नए लाईसेंस लेने वाले उद्योगों में छापेमारी शुरू कर दी है।
बद्दी व कालाअंब में करीब 8 से 10 सैंपल लिए गए हैं। अगर सैंपल में कामयाबी पाई जाती है तो लाईसेंस रद्द करने जैेसे कठोर कदम भी उठाए जा सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि नामी उद्योगों की बजाए माइक्रो स्तर की इकाईयां लाईसेंस ले रही हैं। ड्रग महकमा इस कोशिश में भी है कि इन इकाईयों से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी (सामाजिक दायित्व) के तहत स्थानीय स्तर पर भी सेनेटाइजर का वितरण करवाया जाए। दरअसल सवाल यह भी उठ रहा था कि जब हिमाचल में ही उत्पादन किया जा रहा है तो सेनेटाइजर व मास्क की उपलब्धता प्रदेश को भी करवाई जानी चाहिए।
एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने सेनेटाइजर बनाने वाली इकाइयों को आदेश दिए हैं कि 5 मार्च को तय अल्कोहल के दामों के तहत ही सेनेटाइजर का एमआरपी तय होगा। दीगर है कि सेनेटाइजर में अल्कोहल ही मुख्य सामग्री है। लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि फैक्टरी स्तर से ही दाम नियंत्रित होंगे। उधर बद्दी के सहायक ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर का कहना था कि गुणवत्ता को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जा रहा है। सैंपल एकत्रित करने का कार्य जारी है। उन्होंने माना कि करीब एक सप्ताह के भीतर ही 30 से 35 नए लाईसेंस जारी हुए हैं।
वहीं नाहन में तैनात सहायक ड्रग नियंत्रक सन्नी कौशल ने कहा कि शुक्रवार को केवल सेनेटाइजर बनाने वाली इकाईयों में पड़ताल की गई। इस दौरान पांच सैंपल जुटाए गए हैं। उन्होंने माना कि गुणवत्ता को लेकर आशंका जाहिर की जा रही थी। लिहाजा, विभाग इस पर ठोस कदम उठा रहा है।
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