नाहन : डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज में फैली अव्यवस्थाओं की एक बार फिर पोल खुल गई है। दोपहर 2 बजे के बाद एमरजेंसी वार्ड में किसी भी डॉक्टर की डयूटी नहीं थी। शाम पौने 5 बजे के आसपास जब एमबीएम न्यूज नेटवर्क प्रतिनिधि सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे तो पाया कि एमरजेंसी वार्ड में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं था। संभवतः पत्रकारों के वार्ड में पहुंचने की जानकारी मिलते ही मेडिकल अधीक्षक डॉ. डीडी शर्मा कुछ देर के लिए आए, दो-चार मरीजों को चैक करने के बाद चलते बने।
बताया गया कि मेडिकल कॉलेज में मैनेजमेंट अधिकारी की भी तैनाती है। बावजूद इसके इस तरह की अव्यवस्था बार-बार उजागर हो रही है। दरअसल, ऐसी अव्यवस्थाओं को लेकर विभाग के शीर्ष अधिकारी ठोस कार्रवाई से परहेज करते हैं। इसी कारण एमरजेंसी की हालत खराब हो रही है। जानकारों का यह भी कहना है कि अगर एक बार कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाती तो इस तरह की अव्यवस्था की पुनरावृति न होती। हैरान करने वाली बात यह भी है कि भाजपा के तेजतर्रार नेता व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के अपने घर में इस तरह के हालात हैं तो आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े-बडे़ दावे करने वाले विभाग की हालत रिमोट इलाकों में क्या होगी।
हैरान कर देने वाली बात यह भी थी कि सब कुछ पता चल जाने के बाद भी मेडिकल अधीक्षक ने भी वार्ड को संभालने की जहमत नहीं उठाई। शायद, ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अब एक डॉक्टर नहीं हैं, बल्कि प्रशासनिक अधिकारी हो चुके हैं। खैर, गनीमत इस बात की है कि पिछले सवा तीन घंटे में कोई रोगी नाजुक हालत में एमरजेंसी में नहीं पहुंचा है। बहरहाल, इतना जरूर है कि एमरजेंसी वार्ड में तैनात स्टाफ नर्सिज व पैरा मेडिकल स्टाफ इत्यादि पूरी मुस्तैदी से डॉक्टर न होने के बावजूद अपनी सेवाएं प्रदान करने में जुटे हुए थे। इस संवेदनशील मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन का पक्ष मिलने की सूरत में प्रकाशित किया जा सकता है।