नाहन: आंखों की रोशनी बचपन से नहीं है। पहले राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता के तौर पर छात्रों में अपनी काबलियत की छाप छोड़ी। सेवानिवृत हुए तो उत्तराखंड में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू कर दी है। इसी बीच रिटायर्ड स्कूल प्रवक्ता दिनेश सूद को आगरा में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के कुकिंग कॉन्टेस्ट के बारे में पता चला। यह प्रतियोगिता दृष्टिबाधितों के लिए आयोजित हो रही थी। फिर उनके मन में अचानक ही हिमाचली व्यंजन “माणी” को पहचान दिलवाने का विचार कौंधा। हर कोई दिनेश सूद के व्यंजन का कायल हो गया। टॉप-8 में सफलता अर्जित की।
हालांकि खुद वो कांगड़ा के ज्वालामुखी के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी नौकरी की शुरूआत नाहन से की। यहीं से सेवानिवृत हुए। चूंकि पिता उत्तराखंड के रूड़की में सैटल हैं, लिहाजा अपनी रिटायरमेंट के बाद वहीं चले गए। उनका कहना था कि दिव्यांगों को पहला प्रोत्साहन घर से ही मिलना चाहिए, क्योंकि घर में ही सबसे पहले उन्हें रोका जाता है। उनका कहना था कि इस प्रतियोगिता में साबित किया है कि दृष्टिविहीन भी लजीज व्यंजन बना सकते हैं। आयोजन के दौरान उन्होंने अपने मन की बातों को बेहतरीन तरीके से सांझा किया।
दरअसल नाहन में सेवाओं के दौरान सूद सर के बारे में यह धारणा रहती थी कि वह खुद खाना नहीं बनाते हैं, बल्कि स्टुडेंटस की मदद लेते हैं। हालांकि बाद में खुद छात्रों ने इस बात का खंडन किया था, लेकिन अब कुकिंग प्रतियोगिता में खिताब जीतकर सूद सर ने उन धारणाओं को साक्ष्य के साथ गलत साबित किया है।